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Thursday 4 June 2015

स्पेशल कक्षाओं की खुली पोल, विद्यार्थियों की रुचि नहीं, अध्यापक भी नहीं दिखा रहे चुस्ती

** छुट्टियों के तीन दिन बीत जाने के बाद भी अब तक स्पेशल कक्षाएं लगनी शुरू नहीं हुई हैं।
महम : बोर्ड कक्षाओं में फेल, रिअपीयर व कम्पार्टमेंट लेने वाले विद्यार्थियों के लिए ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान सरकार द्वारा शुरू की गई स्पेशल कक्षाएं लगाने की योजना दम तोड़ती नजर आ रही है। छुट्टियों के तीन दिन बीत जाने के बाद भी अब तक स्पेशल कक्षाएं लगनी शुरू नहीं हुई हैं। जिन अध्यापकों का रिजल्ट पचास प्रतिशत या इससे कम आया है, वे सभी टीचर भी कक्षाएं लगाने के लिए नहीं पहुंच रहे। सरकारी स्कूलों में इक्का-दुक्का टीचर ही पहुंच रहे हैं। साढ़े आठ बजे से लेकर ढाई बजे तक कक्षाओं का समय है। लेकिन अधिकतर विद्यालयों में 12 बजे से पहले ही अध्यापक स्कूल से बाहर निकल जाते हैं। जिन विद्यालयों में शिक्षक पूरी ड्यूटी दे रहे हैं, वहां पर कक्षाओं में विद्यार्थी नहीं पहुंच रहे। बुधवार को जब हरिभूमि संवाददाता ने दोपहर 12 बजे महम के भिवानी रोड स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में एक भी छात्र नहीं मिला। एसएस मास्टर शमशेर सिंह व राजनीतिक विज्ञान के लेरर सुरेंद्र ग्रेवाल विद्यालय में स्पेशल कक्षा के लिए मौजूद थे। एसएस मिस्ट्रेस मनोरमा विद्यालय से किसी काम के लिए जा चुकी थी। जबकि इतिहास प्रवक्ता कर्मवीर सिंह कस्बे के राजकीय कन्या वरिष्ठ विद्यालय में सरकारी काम से गए हुए थे। जब संवाददाता राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय पहुंचे तो वहां भी स्पेशल कक्षाएं नहीं लगाई गई थी। प्रिंसिपल जयप्रकाश ने बताया कि उनके विद्यालय का परिणाम पचास प्रतिशत वाली र्शेणी में नहीं आता। वहीं बलंभा के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के गणित अध्यापक सतपाल जांगड़ा ने बताया कि विद्यालय में 50 प्रतिशत छात्र बड़ी मुश्किल से पहुंच रहे हैं। फरमाणा राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के प्राचार्य रामचंद्र सहारण ने बताया कि उनके पास राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय का चार्ज भी है। बुधवार को ब्वॉयज स्कूल में 6 छात्र पहुंचे थे और गल्र्ज स्कूल में 5 छात्राएं। 
बीईओ बोली शादी में हूं
खंड शिक्षा अधिकारी सुदर्शन छिल्लर से स्पेशल कक्षाओं की जानकारी के लिए फोन किया गया तो उन्होंने कहा कि वे फिलहाल शादी में हैं और उन्हें कुछ सुनाई नहीं दे रहा। वे बाद में बात करेंगी। लेकिन देर शाम तक भी उनका कोई जवाब नहीं आया।
मुझे कुछ नहीं पता
बलंभा के ही राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के प्राचार्य शमशेर सिंह लठवाल से इस बारे में बात की गई तो उन्होंने कहा कि वे दो-तीन दिन से अपने पर्सनल काम से बाहर गए हुए हैं। उन्हें विद्यालय के बारे में कुछ नहीं पता ।
विभिन्न विद्यालयों के शिक्षकों से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि स्पेशल कक्षाएं लगाने के आदेश 31 मई को प्राप्त हुए हैं। जिस वजह से वे बच्चों को कक्षाएं लगाने के लिए प्रेरित नहीं कर पाए। यदि पांच दिन पहले आदेश आते तो उन्हें छात्रों को प्रेरित करने का मौका मिल जाता।

स्कूलों में खाली बैठकर चले जाते हैं अध्यापक
रोहतक : दसवीं व बारहवीं में खराब रिजल्ट आने पर, शिक्षा विभाग का कोचिंग का फरमान सिरे नहीं चढ़ पा रहा है। कुछ स्कूलों में तो कोचिंग दी जा रही है। जबकि ज्यादातर स्कूलों में बच्चे नहीं आने के कारण अध्यापक खाली बैठकर की वापस चले जाते हैं। छुट्टियां होने की वजह से ज्यादातर बच्चे स्कूल का रूख नहीं कर रहे हैं। स्कूल मुृखियाओं के लिए सबसे बड़ी मुसीबत ज्यादा परीक्षार्थी दूसरे राज्यों के होना है। वे छुट्टियों के समय में अपने राज्य में चले जाते हैं। इस वजह स्कूलों में विद्यार्थी न के बराबर आते हैं।
मॉडल टाउन स्कूल में लग रही हैं गणित की कक्षाएं:- 
मॉडल टाउन स्थित शहीद कैप्टन दीपक शर्मा राजकीय वमावि में दसवीं की गणित की कक्षाएं लगाई जा रही हैं। इसमें दसवीं व बारहवीं के विद्यार्थी पढ़ने के आ रहे हैं। दसवीं के 10 व बारहवीं के 18 के लगभग विद्यार्थी पढ़ने के लिए आ रहे हैं। प्राचार्य जसबीर धनखड़ ने बताया कि विद्यार्थियों से फोन के माध्यम से संपर्क किया जा रहा है। पॉजिटिव रिस्पांस आ रहा है। एक दो दिन में बच्चे पहुंच जाएंगे। 
गांधी नगर स्कूल में नहीं लगती कक्षाएं:- 
राजकीय वमावि गांधी नगर, सुबह साढ़े आठ से दोपहर ढ़ाई बजे तक का समय। स्कूल में न तो प्राचार्य, न शिक्षक। एक स्टॉफ सदस्य ने बताया कि कोचिंग के लिए किसी भी कक्षा के विद्यार्थी नहीं आ रहे। केवल शिक्षक आते हैं। वे भी बैठ कर निकल जाते हैं। 
हिसार रोड स्कूल, प्राचार्य कक्ष पर लटका मिला ताला:- 
हिसार रोड स्थित राजकीय कन्या वमावि। समय दोपहर एक बजे, वहां भी प्राचार्य कक्ष पर ताला लटका मिला। न ही छात्र, न ही कोई शिक्षक। गेट पर बैठे कर्मचारी ने बताया कि कोचिंग के लिए शिक्षक तो आते हैं, लेकिन वे सुबह थोड़ी देर बैठकर निकल जाते हैं। छात्राएं नहीं आ रही हैं।                                                                hb

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