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Thursday 15 January 2015

54 टीचर पढ़ा रहे 2 कालेजों के छात्रों को


कैथल : प्रदेश में इंजीनियर कैसे तैयार होंगे, जब पॉलीटेक्निक कालेजों में पर्याप्त सुविधाएं ही नहीं है। कहीं पर स्टाफ की कमी, कमी उपकरणों की कमी तो कहीं छात्रों के लिए रिहायश की दिक्कत है। इसी प्रकार कैथल के राजकीय पॉलीटेक्निक कालेज बुनियादी सुविधाओं को तरस रहे हैं। कैथल जिले की अगर बात करें तो यहां दो पॉलीटेक्निक कालेज हैं। एक कालेज भगवान परशुराम राजकीय बहुतकनीकि संस्थान शेरगढ़ में है। दूसरा चीका में गुरु गोविंद सिंह राजकीय बहुतकनीकी संस्थान के नाम से है। भगवान परशुराम पॉलीटेक्निक कॉलेज के 4 पार्ट हैं जिसमें से 2 पार्ट का काम पूरा हो गया और पार्ट का काम चल रहा है। कैथल के विधायक रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कांग्रेस के राज में इस कालेज का उद्घाटन किया था। लेकिन इस कालेज की इमारत मशीनरी व टीचरों का इंतजार कर रही है। कालेज तो शुरू कर दिया गया, लेकिन अभी तक इसके लिए न तो स्टाफ के पद स्वीकृत हुए हैं और न ही बिल्डिंग में लैब के लिए उपकरण आदि आए हैं। भगवान परशुराम पॉलीटेक्निक कॉलेज की तीन ट्रेड मेकेनिकल इंजीनियरिंग, सिविल व इलेक्ट्रिक इंजीनियरिंग की ट्रेन चीका के गुरु गोविंद सिंह राजकीय बहुतकनीकी संस्थान में चल रही है। अब छात्रों को परेशानी यह है कि जिले में दो पॉलीटेक्निक कॉलेज होने के बाद भी पूरे जिले व आसपास के क्षेत्र के बच्चों को चीका जाना पड़ता है।
क्या कहते हैं प्रिंसिपल: 
इस बारे में जब कालेज के प्रिंसिपल नरेश कुमार भ्याना से बात की गई तो उन्होंने कहा कि स्टाफ की कमी को लेकर विभाग को लिखा हुआ है। इस दिशा में काम भी चल रहा है। भगवान परशुराम कालेज के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि यह कालेज अभी निर्माणाधीन है। जुलाई तक ही स्टाफ आएगा।
एक में पद स्वीकृत नहीं, दूसरे में 56 खाली
चीका के गुरु गोविंद सिंह राजकीय बहुतकनीकी संस्थान की बात करें तो कालेज की बिल्डिंग तो सही है, लेकिन न तो बच्चों के लिए और न ही स्टाफ के लिए रिहायसी क्वार्टर हैं। इसी प्रकार कालेज में स्वीकृत पदों की बात करें तो 110 है उनमें से 30 टीचर स्थाई हैं और 24 टीचर पीरियड के हिसाब से पड़ा रहे हैं। अगर देखा जाए तो 56 टीचरों के पद खाली पड़े हैं। इन्हीं टीचरों से दो कालेजों के छात्रों को पढ़वाया जा रहा है। पहले कालेज में पहले नौ ट्रेड थी अब घटकर 5 ट्रेड रह गई है। चार ट्रेड इसलिए बंद हुई कि उनकी तरफ बच्चों का रुझान नहीं था।                                dt

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