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Thursday 8 January 2015

सेंट्रल विवि में पीएचडी करने वालों के गाइड बने गेस्ट लेक्चरर

** यूजीसी के नियमों की अवहेलना, स्टाफ की कमी से हर साल बदल रहे हैं गाइड 
रेवाड़ी : 3 जनवरी को पीएम नरेंद्र मोदी ने मुंबई में रिसर्च और अनुसंधान को सुविधाजनक बनाने पर जोर दिया था लेकिन बुधवार को महेंद्रगढ़ के गांव जाट पाली में स्थित हरियाणा की इकलौती सेंट्रल यूनिवर्सिटी की अलग ही तस्वीर सामने आई है। विभिन्न पाठ्यक्रमों में पीएचडी कर रहे 57 शोधार्थियों में से अधिकांश के गाइड गेस्ट या अनुबंधित अस्थायी प्राध्यापक हैं। यह सीधे तौर पर यूजीसी के नियमों के खिलाफ है लेकिन 70 फीसदी स्टाफ की कमी के कारण यूनिवर्सिटी प्रबंधन के पास कोई विकल्प नहीं है। लिहाजा हर साल गाइड बदल रहे हैं और यह सीधे तौर पर यह पीएचडी प्रोग्राम का मजाक बनकर रह गया है। उधर, यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर उदय प्रकाश सिन्हा ने भी माना कि स्थायी नियुक्तियां नहीं होने की स्थिति में बोर्ड को ऐसा करना पड़ रहा है। 
सीधे तौर पर पीएचडी अध्यादेश नियम 5 का उल्ल्घंन : 
यूनिवर्सिटीके पीएचडी अध्यादेश के नियम 5 के अनुसार यदि शोधार्थियों ने अपने पीएचडी शोध का अधिकांश कार्य पूर्व गाइड के अधीन किया है। ऐसी स्थिति में उसके विवि छोड़कर चले जाने की स्थिति में भी वह संयुक्त गाइड होगा ताकि शोधार्थी के साथ अन्याय नहीं हो और उसे सही दिशा में मार्गदर्शन मिलता रहे। 
अभी तक दो ही कर पाए पीएचडी : 
लगातारगाइड बदले जाने के कारण अभी तक पांच विषयों के 57 शोधार्थी में अर्थशास्त्र के दो विद्यार्थी ही पासआउट हुए हैं। आरटीआई में यूनिवर्सिटी प्रबंधन ने माना कि जो गाइड या सुपरवाइजर बीच में छोड़कर चले गए हैं, उनका एपीआई (एकेडमिक परफोरमेंश इंडिकेटर) कोई रिकाॅर्ड उनके पास नहीं है। 
आरटीआई से खुलासा 
सूचना अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी में शिक्षा के सबसे ऊंचे पायदान यानी पीएचडी जैसे गंभीर पाठ्यक्रम को लेकर जो खुलासा हुआ है, उसने कई सवाल खड़े कर दिए हैं, जिसका जवाब देते किसी से नहीं बन रहा है। यूनिवर्सिटी में 2009-10 में पीएचडी कार्यक्रम शुरू किया गया। अंग्रेजी में 18, राजनीति शास्त्र में 13, अर्थशास्त्र में 11, प्रबंधन में 7, हिंदी में 8 शोधार्थी पीएचडी के रजिस्टर्ड हैं। अभी तक स्टाफ की कमी के चलते अर्थशास्त्र, हिंदी, प्रबंधन के सभी गाइड बदल चुके हैं। राजनीति शास्त्र के 6, अंग्रेजी के 10 गाइड बदले गए हैं। अर्थशास्त्र और प्रबंधन में तो सभी नियमों की हदों को पार कर दिया गया, जब शोधार्थियों के भविष्य को उन प्राध्यापकों के हाथों में सौंपा गया है, जोकि अनुबंध पर कार्यरत हैं और पूर्व में उन्हें विवि की सेवाओं से मुक्त कर दिया गया था। 
पीएचडी प्रोग्राम के दौरान बदल गए 57 गाइड
आरटीआई में यह भी खुलासा हुआ कि पीएचडी प्रोग्राम के दौरान अभी तक 57 गाइड बदले जा चुके हैं। इसमें अधिकांश गेस्ट या अस्थायी-अनुबंध के आधार पर हटा दिए गए तो कुछ डेपुटेशन पर होने की वजह से वापस अपनी यूनिवर्सिटी में लौट गए। 
सीधी बात : उदयप्रकाश सिन्हा, वीसी
सवाल: क्या अनुबंधित अस्थाई या गेस्ट लेक्चरर किसी पीएचडी स्कॉलर को सुपरविजन कर सकता है 
 -विविबोर्ड ऐसा निर्णय लेने के लिए सक्षम है। वह यूजीसी नियमों के अनुसार करने को कह सकता है 
 सवाल:लगातार गाइड बदल रहे हैं, इससे पीएचडी प्रोग्राम को नुकसान नहीं हो रहा 
 -स्टाफकी कमी के चलते हमें मजबूरन ऐसा करना पड़ रहा है, अभी नई यूनिवर्सिटी है, धीरे- धीरे सबकुछ ठीक हो जाएगा। 
 सवाल:कुछ गाइड तो अपनी विशेषज्ञता से उलट विषय के गाइड बने हुए हैं 
 -यह मेरी जानकारी में नहीं है, अगर ऐसा है तो इस बारे में रिपोर्ट मंगाई जाएगी                                  db

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