** 31 दिसंबर 27 तक फ्री बनाए गए डोंगल
** 2750 रुपये देकर अब बनवाने पड़ेंगे डिजिटल सिग्नेचर
** 10 अप्रैल में बायोमीट्रिक से जुड़ जाएंगे सभी कर्मचारियों के खाते
** बायोमीट्रिक से जुड़ेंगे खाते, 15 मिनट भी देरी से आए तो कटेगी लीव
अंबाला शहर : अब विभागों के पास डिजिटल सिग्नेचर से बचने का कोई विकल्प नहीं
बचा है। जिनके डीडीओ डिजिटल सिग्नेचर नहीं बनवाए हैं उनके कर्मचारियों को
मई में मिलने वाला अप्रैल का वेतन नहीं मिल पाएगा। इतना ही नहीं वेतन के
अलावा किसी भी प्रकार की राशि को भी संबंधित विभाग के अधिकारी नहीं निकलवा
पाएंगे। अब डिजिटल सिग्नेचर हर विभाग के ड्राइंग एंड डिसबर्सिंग अधिकारी
(डीडीओ) को बनवाने ही होंगे। हालांकि सरकार ने मार्च में भी कुछ समय बिना
डिजिटल सिग्नेचर वाले विभागों के खाते से ट्रांजेक्शन को रोक दिया था,
लेकिन मार्च तक की राहत दे दी थी। बिना डिजिटल सिग्नेचर के ट्रेजरी से कोई
भी बिल पास नहीं किया जाएगा।
सरपंचों और ग्राम पंचायत सचिवों को भी
बनवाने होंगे :
मनरेगा के तहत मजदूरी देनी हो या फिर ग्राम पंचायतों से
जुड़ा कोई फंड जारी कराना हो तो उसके लिए ग्राम प्रधानों व सचिवों को अपने
डिजिटल सिग्नेचर बनवाने पड़ेंगे।
दिसंबर 27 तक बनवाने थे सभी डीडीओ को
डोंगल :
डिजिटल सिग्नेचर के लिए सभी डीडीओ को सरकार ने दिसंबर 27 तक
अपने-अपने डोंगल बनवाने के निर्देश दिए थे। डोंगल बनवाने का ठेका सरकार ने
इटली की कंपनी को दिया हुआ है। दिसंबर तक यह डोंगल फ्री बनाए जा रहे थे
लेकिन अब रुपये देकर डीडीओ डोंगल बनवा सकते हैं। इसके लिए फाइनेंस कमीशन
की वेबसाइट से प्रोफॉर्मा लेकर देना होगा।
50 फीसद से ज्यादा डीडीओ के
नहीं बने हस्ताक्षर :
अभी तक 50 फीसद से ज्यादा ऐसे विभाग हैं जिनके डीडीओ
के डिजिटल सिग्नेचर नहीं बने हैं। विभागों के कर्मचारियों के आगे मई में
वेतन संकट खड़ा हो सकता है। कानूनी प्रक्रिया से जुड़े विभागों के
आलाधिकारियों ने अभी तक डिजिटल सिग्नेचर से पूरी तरह से दूरी बनाई हुई है।
दरअसल
किसी भी विभाग का मुखिया जो आधिकारिक रूप से कर्मचारियों का वेतन, विभाग के
कार्यों को कराने के लिए पेमेंट निकालने में सक्षम होता है। उसे डीडीओ कहा
जाता है। प्राथमिक स्कूल में स्कूल मुखिया, हाई और मिडल में हैडमास्टर और
सीनियर सेकेंडरी में ¨प्रसिपल के पास डीडीओ पावर होती हैं।
डिजिटल
हस्ताक्षर के ये होंगे फायदे
डिजिटल हस्ताक्षर डीडीओ को डोंगल में दिए जाते
हैं। जब भी डिजिटल हस्ताक्षर को इस्तेमाल करना है तो इसे कंप्यूटर में
लगाया जाएगा, पिन डालेगा और डोंगल एक्टीवेट हो जाएगा। डिजिटल हस्ताक्षर या
सिग्नेचर एक प्रकार का कंप्यूटर कोड होता है। इसका प्रयोग केवल अधिकृत
व्यक्ति ही कर सकता है। इसके लिए यूजर आइडी और पासवर्ड की आवश्यकता भी
होगी। डिजिटल सिग्नेचर केवल वही व्यक्ति कर पाएगा, जिसके पास यूजर आइडी,
पासवर्ड और डोंगल दोनों होंगे। जैसे सर्टिफिकेट पर मैनुअली साइन किए जैसे
हैं वैसे ही इलेक्ट्रॉनिक सर्टिफिकेट पर डिजिटल सिग्नेचर किए
जाएंगे।
बायोमीट्रिक से जुड़ेंगे खाते, 15 मिनट भी देरी से आए तो कटेगी
लीव
10 अप्रैल के बाद से सरकारी कर्मचारियों के खातों को बायोमीट्रिक
हाजिरी से जोड़ दिया जाएगा। कर्मचारी की बायोमीट्रिक हाजिरी सवा नौ बजे
लगेगी तो तीन बार ऐसा करने पर कर्मचारी की एक लीव कट जाएगी। इसी तरह तीन
घंटे से ज्यादा देरी पर पहुंचने पर आधे दिन की लीव और इससे ज्यादा होने पर
पूरे दिन की लीव मानी जाएगी। जब लीव खत्म हो जाएंगी तो उतने घंटों का वेतन
कुल वेतन से काट लिया जाएगा।
प्रभावित हो सकते हजारों कर्मचारी
डिजिटल
सिग्नेचर समय पर तैयार नहीं हुए तो जिले के हजारों कर्मचारियों का वेतन
प्रभावित होना तय है। एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि
अधिकारी की ढीली कार्यप्रणाली का खामियाजा उन्हें क्यों भुगतना पड़े?
"एक
अप्रैल से डिजिटल सिग्नेचर सरकार ने अनिवार्य कर दिए हैं। जिन डीडीओ ने अभी
तक डिजिटल सिग्नेचर नहीं बनवाए उनके किसी भी प्रकार के बिल एक अप्रैल के
बाद से ट्रेजरी से जारी नहीं होंगे। क्योंकि इस बारे में सरकार के
दिशानिर्देश जारी हो चुके हैं।"-- सुनीता गोस्वामी, जिला ट्रेजरी अधिकारी।
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