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Wednesday 25 December 2013

चाइल्ड केयर लीव लेने की होड़ में स्कूल के बच्चों को भूलीं मैडम जी

** 20 से अधिक महिला टीचर ले चुकीं दो साल की छुट्टी, आवेदन और बढ़े 
पानीपत : पहले से ही शिक्षकों की कमी से जूझ रहे राजकीय स्कूलों में सीसीएल यानि चाइल्ड केयर लीव परेशानी का सबब बन गई हैं। सीसीएल के नाम से छुट्टियां लेने की होड़ लग गई है। एक साल पहले शुरू हुई इस लीव के तहत अब तक 20 से अधिक महिला शिक्षक छुट्टी पर जा चुकी हैं। वहीं, दर्जनों महिला शिक्षकों ने विभाग में छुट्टी के लिए आवेदन कर रखा है। इनमें से कई आवेदन प्रशासन के उच्च अधिकारियों व बड़े नेताओं के रेफरेंस से आए हैं। 
एकदम से सीसीएल के आवेदन बढऩे से शिक्षा विभाग की भी चिंता बढ़ गई है। हालांकि छुट्टियां देने से पहले जांच के साथ कठोरता भी अपनाई जा रही है, लेकिन यह तरीका कारगर सिद्ध नहीं हो रहा। शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अगर सभी को सीसीएल के तहत छुट्टी दे दी गई तो स्कूलों में बच्चों को कौन पढ़ाएगा? महिला अध्यापिकाओं को अपील की जा रही है कि छुट्टियां न लें, लेकिन सभी अपने अधिकारों की बात कर आवेदन लेकर पहुंच रही हैं।
2012 में बनी योजना तभी से छुट्टी की चाह
सरकार ने महिला कर्मचारियों के लिए वर्ष 2012 में चाइल्ड केयर लीव की शुरुआत की थी। इसके तहत महिला कर्मचारी 18 वर्ष तक के अपने बच्चों की देखभाल के लिए कभी भी दो साल की एकमुश्त छुट्टी या दो-तीन बार किस्तों में अवकाश ले सकती हैं। इस योजना के शुरू होने के साथ ही महिला कर्मचारियों में छुट्टी लेने की होड़ लग गई। शिक्षा विभाग ने सीसीएल पर जाने से अध्यापिकाओं को रोकने के लिए आवेदनों की कठोरता से जांच शुरू कर दी। हालांकि इसका फायदा नहीं हुआ। एक साल के अंदर अब तक जहां 20 के लगभग अध्यापिकाएं सीसीएल लेकर छुट्टी पर जा चुकी हैं। एक दर्जन आवेदक चक्कर लगा रही हैं। उन्हें चिंता है कि अगर उनका बच्चा 18 वर्ष से अधिक उम्र का हो गया तो छुट्टियां नहीं मिलेंगी। 
3000 शिक्षकों के पद, 1000 सीटें खाली अभी 
पानीपत में तीन हजार शिक्षकों के पद हैं। इसमें से भी एक हजार पद खाली हैं। मतलब एक तिहाई पदों पर शिक्षक हैं ही नहीं। सिर्फ दो हजार शिक्षक ही विद्यार्थियों को शिक्षा दे रहे हैं। शिक्षकों की इस कमी के कारण स्कूलों में बच्चों को उचित शिक्षा नहीं मिल पा रही। अगर अब सौ से दो सौ शिक्षक छुट्टी पर चले गए तो स्कूलों में पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित होगी। यही कारण है कि सीसीएल शिक्षा विभाग के लिए मुसीबत बनता जा रहा है। 
1000 में 400 अध्यापिकाएं लीव के दायरे में 
पानीपत में इस समय लगभग दो हजार शिक्षक कार्यरत हैं। इसमें से करीब 500 अध्यापिकाएं हैं। खास बात यह की इसमें से 400 अध्यापिकाएं ऐसी हैं, जो चाइल्ड केयर ली के तहत आवेदन कर सकती हैं। नियमानुसार जिसका बच्चा 18 वर्ष तक न हुआ हो, वह लीव की हकदार हैं। पानीपत में तैनात 400 अध्यापिकाएं ऐसी हैं, जिनकी उम्र 40 वर्ष से कम है। ज्यादातर अध्यापिकाओं के बच्चों की उम्र अभी 18 वर्ष से कम है। इसलिए ये लीव के लिए आवेदन कर सकती हैं। 
मुसीबत ये भी- रिलीवर रखने की अथॉरिटी नहीं 
सरकार ने सीसीएल लेने की अनुमति दे दी है। लेकिन उनकी जगह पर विभाग को रिलीवर रखने की अनुमति नहीं दी है। मान लीजिए कि अगर किसी स्कूल में गणित की कोई अध्यापिका सीसीएल के तहत दो साल की छुट्टी पर चली गई तो उस स्कूल में विद्यार्थियों को दो साल तक गणित पढऩे को नहीं मिलेगा। क्योंकि स्कूल उसकी जगह पर न तो किसी को रिलीवर नियुक्त कर सकता है और न ही किसी प्राइवेट टीचर को रख सकता है। अब जिन स्कूलों के टीचर छुट्टी पर चले गए हैं, उनकी जगह नियुक्ति भी नहीं हो पा रही। 
अपील- अधिकार का गलत फायदा न उठाएं : गुर 
जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी सरोज बाला गुर ने कहा कि महिलाओं को यह अधिकार जरूरत पडऩे पर बच्चों की देखभाल करने के लिए दिया गया है। इसलिए आवेदन करने वाली अध्यापिकाएं इसका गलत फायदा न उठाएं। 
ज्यादा होड़- ग्रामीण क्षेत्र से मिल रहे आवेदन 
ज्यादातर आवेदन ग्रामीण इलाकों में स्थित स्कूलों से आ रहे हैं। पट्टीकल्याणा, सौदापुर, समालखा, बिंझौल स्थित राजकीय स्कूलों में कार्यरत अध्यापिकाओं ने सीसीएल के लिए आवेदन कर रखा है। वहीं, मतलौडा, समालखा व इसराना में कई टीचर छुट्टी पर हैं। 
दबाव- नेताओं, अफसरों की लेकर आ रहीं सिफारिश 
आवेदन करने वाली अध्यापिकाएं अब बड़े पदों पर बैठे अधिकारियों व बड़े नेताओं की सिफारिश लेकर विभाग में पहुंच रही हैं। सिफारिशों के कारण अधिकारी उन्हें इनकार भी नहीं कर पा रहे। वहीं, स्कूलों में अध्यापिकाओं की संख्या कम होने के कारण छुट्टी देना भी नहीं चाहते। 
शिक्षकों की कमी मानी सीसीएल से इनकार 
राजकीय मॉडल संस्कृति स्कूल की प्रिंसिपल प्रतिमा शर्मा ने बताया कि इस समय स्कूल में फिजिक्स, मैथ, इंग्लिश, हिंदी, केमेस्ट्री जैसे सात से आठ विषयों के शिक्षकों की पोस्ट खाली है। शिक्षकों की कमी पहले से ही है, इसलिए किसी को सीसीएल पर नहीं भेज सकते। वहीं, राजकीय गल्र्स स्कूल मॉडल टाउन के प्रिंसिपल नफे सिंह ने भी शिक्षकों की चार से पांच पोस्ट खाली होने की बात स्वीकार की, लेकिन किसी अध्यापिका के सीसीएल पर जाने से इनकार किया। उनका कहना है कि शिक्षकों की स्थिति भी देखी जाती है।                                          db





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