** सरकार को चेताने के लिए उठाया कदम, अध्यापकों की अनदेखी का आरोप - 9 अक्टूबर को बांटेंगे सरकार का घोषणा पत्र
** 9 अक्टूबर को सरकार के घोषणा पत्र व शिक्षामंत्री के लिखित दिए गए आश्वासन से पंपलेट बनवाकर वितरित करेंगे
** 671 परिवार सड़क पर आने को हो गए
हैं मजबूर
यमुनानगर : समायोजित किए जाने की मांग को अतिथि अध्यापकों का आंदोलन जारी
है। शुक्रवार को अध्यापकों ने सड़क के किनारे फड़ी लगाकर सब्जियां व घरेलू
सामान बेचा। कुछ अध्यापकों ने बूट पालिस भी किए और भीख मांगी। अतिथि
अध्यापकों का कहना है कि सरकार ने उनका रोजगार छीनकर सड़कों पर उतरने के
लिए मजबूर कर दिया है। अध्यापक आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं। एमए बीएड जैसी
डिग्रियां लेने के बाद अध्यापकों को मजबूरी में सड़कों के किनारे सब्जियां
व अन्य सामान बेचना पड़ रहा है। अतिथि अध्यापक 9 अक्टूबर को सरकार के
घोषणा पत्र व शिक्ष मंत्री द्वारा दिए गए लिखित आश्वासन से संबंधित पंपलेट
बनवाकर वितरित करेंगे और एलक्ष्डी पर उनके भाषण को दिखाएंगे।1अतिथि अध्यापक
निरंकारी भवन के पास एकत्रित हुए रोष मार्च करते हुए टैक्सी स्टैंड के पास
पहुंचे। यहां अध्यापकों ने दरिया बिछाकर सब्जियों व अन्य सामान की फड़ी
लगा ली। धरने पर बैठे नितिन लांबा, सुमन, राजीव, ललित शर्मा, सुमन मैडम,
विनोद, नवीन, कमल, किरण व राजीव ने कहा कि 12 साल लगातार शिक्षा विभाग में
कार्य करने के बाद हरियाणा सरकार ने 671 परिवारों को सड़क पर लाकर खड़ा कर
दिया है।
आर्थिक तंगी के चलते मानसिक तौर पर बीमार हो चुके हैं अध्यापक
रोजगार चले
जाने के बाद अतिथि अध्यापकों के चूल्हे ठंडे हो गए हैं। उन्होंने कहा कि
त्योहार आ गए हैं लेकिन अतिथि अध्यापक आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहे हैं।
अतिथि अध्यापक मानसिक तौर पर बीमार हो गए हैं। अतिथि अध्यापक सड़कों के
किनारे रेहड़ी-फड़ी लगाने को मजबूर हो गया। इसके लिए कोई और नहीं बल्कि
प्रदेश सरकार जिम्मेदार है। दिल्ली में अतिथि अध्यापकों को पक्का करने की
कवायद शुरु हो गई है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि इन अतिथि अध्यापकों
को समय रहते समायोजित किया जाए ।
सरकार ने की वादा खिलाफी
अध्यापकों का कहना है कि वे कुछ और करने की स्थिति
में नहीं रहे क्योंकि उम्र दराज हो गए हैं। भाजपा सरकार ने अपने घोषणापत्र
में कहा था कि सत्ता में आने पर अतिथि अध्यापकों को पहली कलम के साथ पक्का
किया जाएगा, पक्का तो करना दूर की बात अतिथि अध्यापकों को रोजगार से भी
बेदखल कर दिया।
भावुक हो उठी अध्यापिकाएं
सड़क के किनारे बैठी अध्यापिकाएं भावुक हो उठी।
उन्होंने अपने पास शैक्षणिक योग्यता लिखी तख्तियां रखी हुई थी। कोई एमए
बीएड पास है तो कोई एमकॉम, बीएड। इन अध्यापिकाओं का कहना है कि उन्होंने
नहीं सोचा था कि रोजगार बचाने के लिए यह काम भी करना पड़ेगा। पढ़ लिखकर
सड़क पर बूट पालिश करनी पड़ेगी।
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