कैथल : जन सेवा सर्वे के लिए जिलेभर के अध्यापकों की ड्यूटी लगाई गई थी।
बृहस्पतिवार को पंचायत भवन में शिक्षकों को सर्वे के लिए एक दिन का
प्रशिक्षण देना था और उन्हें संबंधित दस्तावेज भी सौंपने थे। तहसीलदार
राकेश कुमार पंचायत भवन में बैठे इंतजार करते रहे, लेकिन सभी शिक्षक संगठन
पंचायत भवन में धरने पर ही बैठे रहे।
हालांकि शिक्षक संगठन के
पदाधिकारियों को बातचीत के लिए बुलाया भी गया, लेकिन सहमति नहीं बन पाई।
शिक्षकों ने साफ तौर पर कहा कि वे स्कूल की छुट्टी के बाद सर्वे नहीं
करेंगे। शिक्षक जन सेवा सर्वे के में कई दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं और
जिला शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में धरना दे रहे थे। शिक्षक संगठनों के
पदाधिकारी खरदूल सिंह, दल सिंह, रामफल, जस¨वद्र, अमरनाथ, रामपाल ने बताया
कि सरकार जानबूझ कर शिक्षकों पर सर्वे करने का दबाव बना रही है। सभी
शिक्षक संगठनों ने सरकार के इस फैसले का किया है। शिक्षकों का कहना है कि
अध्यापकों को तीन महीने तक यह सर्वे करना पड़ेगा, ऐसे में वे बच्चों को
कैसे अच्छी शिक्षा दे सकते हैं। अध्यापकों का काम बच्चों को पढ़ाना होता
है, लेकिन सरकार तरह-तरह के काम करवाकर अध्यापकों का भ्रमित करना चाहती है।
अगर सरकार को यह सर्वे करवाना ही है तो देश में करोड़ों बेरोजगार युवक हैं
उनसे यह सर्वे करवाए और अध्यापकों को बच्चों को पढ़ाने दें।
क्या है जन
सेवा सर्वे :
जन सेवा सर्वे भारत सरकार द्वारा करवाया जा रहा है। इसके तहत
अध्यापकों को घर-घर जाकर घर में रहने वाले प्रत्येक सदस्य की जानकारी
हासिल करना है और उस जानकारी को सरकार तक पहुंचना है। ऐसा करने से सरकार की
सभी योजनाओं की जानकारी हर घर तक पहुंच जाएगी। इस सर्वे के लिए सरकार
शिक्षकों को अलग से पैसों का भी भुगतान करती, लेकिन फिलहाल शिक्षकों ने
सर्वे करने से मना कर दिया है।
"शिक्षकों को आज एक दिन का प्रशिक्षण देना
था। उन्हें केवल एक दिन में चार से पांच घरों का ही सर्वे करना था, लेकिन
कोई शिक्षक प्रशिक्षण लेने नहीं आया। इस बात की जानकारी डीसी और एडीसी को
दे दी जाएगी और सरकार के पास भी जानकारी भेज दी जाएगी।"-- राकेश कुमार,
तहसीलदार कैथल
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