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Sunday, 8 October 2017

मिड-डे मील का कार्य ग्राम पंचायतों और परिषदों को दिए जाने की तैयारी

** महिला कुकों की नौकरी पर संकट के बादल, फैसले के खिलाफ विरोध शुरू
भिवानी : सरकार ने मिड डे मील संचालन का कार्य शहरी इलाके में नगर परिषद और ग्रामीण इलाके में ग्राम पंचायतों के सुपुर्द करने की तैयारी कर ली हैं, इससे प्रदेश भर के करीब 14 हजार सरकारी स्कूलों में दोपहर का भोजन पकाने वाली लगभग 36 हजार महिला मिड डे मील कुकों की नौकरी पर संकट के बादल मडऱाने लगे है। सरकार के इस फैसले के खिलाफ विभिन्न कर्मचारी मजदूर संगठनों ने आंदोलन भी शुरू कर दिया है।
भिवानी जिले में लगभग 600 मिड डे मील वर्कर्स हैं। इनमें अधिकतर विधवाएं हैं या गरीब परिवारों से महिलाएं हैं जो स्कूलों में राशन पकाकर किसी तरह से अपने परिवार को पालन-पोषण करती है। इनसे यह कार्य वापस लिए जाने के बाद आर्थिक रुप से इन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। इसको लेकर एआईयूटीयूसी पिछले 15 दिनों से आंदोलनरत है। 3 अक्टूबर को भी सैकड़ों मिड डे मिल वर्कर्स ने शहर में प्रदर्शन कर सीएम के नाम ज्ञापन डीसी को सौंपा था।
सालाना बजट 10 हजार करोड़ होता है जारी
हरियाणामें मिड डे मील की शुरुआत 1994 में हुई थी। यह योजना केवल राजकीय प्राथमिक पाठशालाओं में ही लागू की गई थी। इसमें कक्षा पहली से पांचवीं तक के बच्चों को पोषाहार दिया जाता था। इन बच्चों के लिए स्कूल में ही महिला कुक मुख्याध्यापक की निगरानी में भोजन पकाती थी। इसके बाद इस योजना का विस्तार किया गया और इसका दायरा राजकीय मिडिल स्कूलों तक करते हुए कक्षा पहली से आठवीं तक के बच्चों को भोजन मिलने लगा। प्रदेश भर में केंद्र और राज्य के शेयर के हिसाब से मिड डे मिल का सालाना बजट 10 हजार करोड़ रुपये जारी किया जाता हैं, जबकि दो साल पहले तक ये बजट 13 हजार 500 करोड़ रुपये तक था, जो अब घट कर केवल 10 हजार करोड़ तक सिमटकर रह गया है।
सरकारी स्कूल में तैनात प्रत्येक कुक को प्रत्येक माह मात्र 2500 रुपये मेहनताना मिलता है। जबकि वे विद्यालय में छात्र संख्या के हिसाब से बच्चों के लिए रोजाना भोजन पकाती हैं। इसमें 600 रुपये का बजट केन्द्र 1900 रुपये का बजट राज्य सरकार का होता है।
आदेश के अनुसार होगा सब
"सरकारीस्कूलों में बनने वाले मिड डे मील का संचालन कुकों के हाथों से लेकर ग्रामीण इलाके में ग्राम पंचायतों शहरी इलाके में नगर पालिका एवं नगर परिषद को सौंपे जाने की प्रक्रिया अभी शुरू नहीं हुई है। जो आदेश ऊपर से आएंगे उसी के अनुरूप उन्हें लागू करने के लिए कदम उठाया जाएगा।''-- सुरेश शर्मा, जिला शिक्षा अधिकारी भिवानी
कुकों को हटाया तो करेंगे आंदोलन
"ग्रामपंचायतों एवं नगर परिषदों को मिड डे मील दिए जाने से भाई-भतीजावाद को बढ़ावा मिलेगा और इसे बेहतर ढंग से लागू किया जाना मुश्किल होगा। अगर सरकार जबरन मिड डे मील कुकों को हटाने का प्रयास करेगी तो फिर सीटू बड़े आंदोलन के लिए भी तैयार है।''---कामरेडधर्मवीर सिंह, जिला सचिव, एआईयूटीयूसी।

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