नई दिल्ली : अतिथि शिक्षकों की भर्ती के मामले में दिल्ली सरकार को हाई
कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली। जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति
संजीव खन्ना व प्रतिभा एम सिंह की पीठ ने कहा कि अनिवार्य प्रक्रिया अपनाए
बगैर अतिथि शिक्षकों की भर्ती नहीं की जा सकती है। कोर्ट ने कहा कि एकल
पीठ में ही सरकार अपना पक्ष रखे, जहां मामला लंबित है। इसके
बाद सरकारी वकील ने अपील को वापस ले लिया।
कोर्ट ने सरकारी वकील की उस
दलील को भी दरकिनार कर दिया, जिसमें उन्होंने हवाला दिया था कि भर्ती
प्रक्रिया पर स्टे होने के कारण छात्र शिक्षकों की समस्या से जूझ रहे थे।
कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि क्या अतिथि शिक्षकों के काम करने के
बाद भी छात्र वंचित है। कोर्ट ने कहा कि अगर आप संविदा पर शिक्षकों की
भर्ती करते रहेंगे तो अच्छे शिक्षक आपको नहीं मिलेंगे। उधर, याचिकाकर्ता
गैर सरकारी संगठन सोशल जस्टिस के वकील अशोक अग्रवाल ने अपील को खारिज करने
की मांग की। दिल्ली सरकार ने हाई कोर्ट की एकल पीठ के अतिथि शिक्षक भर्ती
प्रक्रिया पर स्टे लगाने के फैसले को हाई कोर्ट की डबल बेंच में चुनौती दी
थी।
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