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Tuesday, 30 January 2018

प्री बोर्ड ने छुड़ाए पसीने, प्रश्नपत्र नहीं पहुंचे, फोटोस्टेट करवा चलाया काम

अंबाला शहर : हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड की पहल पर करीब छह साल बाद प्री बोर्ड की परीक्षाएं शुरू हुई। पहले दिन 10वीं की विज्ञान और 12वीं कक्षा की गणित की परीक्षा हुई। लेकिन मासिक परीक्षाओं की तरह प्री बोर्ड की परीक्षाएं भी सुचारू रूप से नहीं चल पाई। इस परीक्षा को संपन्न कराने में कई स्कूल ¨प्रसिपल के पसीने छूट गए। टीम ने जब विभिन्न स्कूलों में पहुंचकर स्थिति जानी तो हालात यह थे कि स्कूलों में 12वीं कक्षा के प्रश्न पत्र ही नहीं पहुंचे।
आनन-फानन में स्कूल ¨प्रसिपल ने आसपास के स्कूलों से प्रश्न पत्र मंगवाए और फोटोस्टेट कराकर काम चलाया। इस प्रक्रिया में कई स्कूलों में एक घंटा बीत गया। क्योंकि एक-एक प्रश्न पत्र करीब 15-15 पन्नों का था। इस बार प्रश्न पत्र के साथ ही उत्तर पुस्तिका भी बनाई गई थी। यही कारण रहा कि विभिन्न स्कूलों में विद्यार्थियों को परेशानियों का सामना करना पड़ा। परीक्षा सुबह 10 बजे से साढ़े 12 बजे तक चली। अंबाला छावनी के खुड्डा सीनियर सेकेंडरी स्कूल में स्थिति जानी तो पता चला कि 12वीं कक्षा के प्रश्न पत्र संख्या से काफी कम थे। नारायणगढ़ के अकबरपुर सीनियर सेकेंडरी स्कूल की स्थिति यह रही कि वहां एक भी प्रश्न पत्र नहीं पहुंचा। इसी तरह अंबाला शहर के दुराना सीसे स्कूल की स्थिति थी। यहां कुल 102 विद्यार्थी हैं और इनके लिए 85 प्रश्न पत्र ही पहुंच पाए थे। अकबरपुर में नजदीकी स्कूल से पहले प्रश्नपत्र मंगवाए गए फिर उनकी फोटोस्टेट कराई गई।
1300- 500 रुपये बना बिल : 
स्थिति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि ज्यादातर स्कूलों में फोटोस्टेट के बिल ही 300 से 500 रुपये तक बन गए। क्योंकि 15-15 पेज की फोटोस्टेट करानी थी। ज्यादातर सरकारी स्कूलों में या तो फोटोस्टेट मशीन खराब है या चलती ही नहीं। ऐसे में अब फोटोस्टेट के बिल की भरपाई सरकारी खाते से होगी। इस तरह विभाग को चपत भी लगेगी। वहीं दूसरी ओर 30-30 प्रश्न पत्र फोटोस्टेट कराने की प्रक्रिया में एक घंटे से ज्यादा का समय लग गया। यही कारण रहा कि कई स्कूलों में परीक्षा देरी से भी शुरू हो सकी।
प्रसिपल परीक्षार्थियों की कुल संख्या खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय में भेजते हैं। रिपोर्ट यहां से जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में भेज दी जाती है। यहां से सभी खंडों की रिपोर्ट को प्रश्न पत्र छापने वाली कंपनी के पास भेजा जाता है। इसी प्रक्रिया में संख्या बदल जाती है। साल की अंतिम मासिक और पहली प्री-बोर्ड परीक्षाओं को भी विभाग सही से नहीं करा पाया।

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