** डीयू ने शुरू की जांच, कई प्रिंसिपल आ सकते हैं घेरे में, फर्जी बोर्ड से 12वीं की पढ़ाई कर अधिकतर छात्रों ने लिया है दाखिला
नई दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय भले ही दाखिले में पारदर्शिता को लेकर
अपनी तैयारी दुरुस्त कर रहा हो, लेकिन यहां के 10 कॉलेजों में फर्जी दाखिले
के मामले सामने आने की सूचना है। कहा जा रहा है कि फर्जी बोर्ड से 12वीं
उत्तीर्ण करने वाले छात्रों को यहां बड़ी संख्या में दाखिला मिला है। ये
कॉलेज डीयू के रडार पर हैं और जांच के बाद जल्द ही कई छात्रों के नामांकन
रद हो सकते हैं। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार मानव संसाधन विकास
मंत्रलय ने इस मामले का संज्ञान लिया है और डीयू ने जांच शुरू कर दी है।
स्वामी श्रद्धानंद और शिवा जी कॉलेज के अलावा कुछ अन्य कॉलेज हैं जहां पर
फर्जी बोर्ड और नियमों की अवहेलना कर दाखिले किए गए हैं। शुरुआती जांच में
ऐसे दस कॉलेज सामने आए हैं। इस बाबत संबंधित कॉलेज से भी डीयू जानकारी मांग
रहा है। सबसे अधिक समस्या इस बात को लेकर है डीयू के पास ऐसा कोई तरीका
नहीं है जिससे वह यह जान सके कि कौन सा बोर्ड फर्जी है और कौन सा बोर्ड
सही। प्राय: राज्य सरकारों द्वारा रजिस्टर्ड बोर्ड के छात्रों को ही डीयू
में दाखिला मिलता है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार मानव संसाधन
विकास मंत्रलय इस मुद्दे को लेकर गंभीर है और डीयू के वरिष्ठ अधिकारी इसकी
जांच कर रहे हैं।
डीयू के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि हम दाखिला से
जुड़े नियम बनाते हैं और कॉलेजों को उसे लागू करना होता है। लेकिन कॉलेज ही
दाखिला लेता है और कौन प्रमाणपत्र सही है इसका भी वही सत्यापन करता है।
ऐसे में यदि हमारे पास फर्जी दाखिले को लेकर शिकायत आती है तो हम उस बारे
में कॉलेजांे से ही स्पष्टीकरण मांगते हैं। दाखिला गलत पाया जाता है तो
कॉलेज कार्रवाई करता है।
हाल में डीयू के स्वामी श्रद्धानंद कॉलेज और शिवा
जी कॉलेज में फर्जी दाखिला का मामले सामने आया है, लेकिन अब तक इन कॉलेजों
ने कोई संतोषजनक जांच रिपोर्ट डीयू को नहीं सौंपी है। फर्जी बोर्ड द्वारा
डीयू में उत्तर प्रदेश सहित कई अन्य प्रदेशों के छात्रों के दाखिले फर्जी
पाए गए हैं।
दाखिले के समय प्रमाणपत्रों की होगी फोरेंसिक जांच
दिल्ली
विश्वविद्यालय ने एक बार फिर स्पष्ट किया है किसी भी सूरत में डीयू के
कॉलेजों में फर्जी दाखिला बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। दाखिला समिति ने सभी
कॉलेजों को दाखिले के समय प्रमाणपत्रों की जांच फोरेंसिक एक्सपर्ट से कराने
की बात कही है।
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