नई दिल्ली : सरकारी स्कूलों में करीब 15 हजार अतिथि शिक्षकों को नियमित
करने पर जोर देने पर हाई कोर्ट ने केजरीवाल सरकार को आड़े हाथों लिया और
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की खिंचाई की। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल व
दीप शर्मा की पीठ ने कहा कि सरकार नियमों की अनदेखी कर अतिथि शिक्षकों को
नियमित क्यों करना चाहती है। पीठ ने कहा कि यदि अतिथि शिक्षक योग्य हैं तो
वे भर्ती परीक्षा में बैठें और वहां से उत्तीर्ण होने पर उनका चयन खुद ब
खुद हो जाएगा। सिसोदिया खुद मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट में मौजूद रहे।
पीठ ने कहा कि सरकार इस मामले में उपराज्यपाल से बात कर समस्या का समाधान
क्यों नहीं कर रही है। यदि भर्ती परीक्षा के तहत ही शिक्षकों की नियुक्ति
हो सकती है तो फिर इसके बगैर उन्हें नियमित कैसे किया जा सकता है?1इस पर
मनीष सिसोदिया ने कहा कि उनकी सरकार दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था में सुधार
करना चाहती है और इस दिशा में काम कर रही है। यह काम अतिथि शिक्षकों को
नियमित किए बगैर नहीं हो सकता। उन्होंने इसके लिए अतिथि शिक्षकों के अनुभव
को प्रमुख कारण बताया। इस पर हाई कोर्ट ने उनसे जानना चाहा कि अतिथि
शिक्षकों से सरकार को इतना लगाव क्यों है? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि
हम 15 हजार अतिथि शिक्षकों को बेरोजगार नहीं कर सकते।
अधिवक्ता अशोक
अग्रवाल ने सिसोदिया की दलीलों का विरोध करते हुए कहा कि उपराज्यपाल ने
सरकार द्वारा पारित विधेयक को मंजूरी देने से इन्कार कर दिया है। साथ ही
उन्होंने सिसोदिया की अपील को खारिज करने की भी मांग की। सिसोदिया ने अपील
में एकल पीठ के उस आदेश पर रोक लगाने की मांग की है जिसमें 9232 नियमित
शिक्षक की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया है। सिसोदिया ने
अतिथि शिक्षकों को नियमित करने की अनुमति मांगी है। शिक्षा निदेशालय ने
कोर्ट को बताया कि केजरीवाल सरकार द्वारा अतिथि शिक्षकों को नियमित करने के
लिए विधानसभा में पारित विधेयक को उपराज्यपाल ने मंजूरी देने से इन्कार कर
दिया है।
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