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Friday, 20 January 2017

संस्कृत अध्यापक भर्ती में आचार्य और शास्त्री को मान्यता देने के विरोध में विद्यार्थियों का प्रदर्शन

** रोष : बीए योग्यता निर्धारित करने पर सीएम के नाम तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा, भर्ती की शर्तों में संशोधन की मांग 
** शिक्षा नियमावली 2012 में संशोधन करते हुए शास्त्री आचार्य की डिग्री को भी योग्यता मानते हुए भर्ती में आचार्य शास्त्री डिग्री धारकों को भी शामिल किए जाने की मांग की
सिरसा : श्रीसनातन धर्म संस्कृत महाविद्यालय के विद्यार्थियों ने गुरुवार को लघु सचिवालय पहुंच हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग की ओर से हाल ही में संस्कृत अध्यापक पद के लिए निकाली भर्ती में शैक्षणिक योग्यता बीए निर्धारित करने और आचार्य या शास्त्री की डिग्री धारकों को मान्यता देने को लेकर रोष जताया। महाविद्यालय के प्राचार्य हनुमान प्रसाद सनातन धर्म सभा के कार्यकारी प्रधान नवीन केडिया के नेतृत्व में महाविद्यालय से लघु सचिवालय तक पैदल रोष मार्च निकाला और नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन किया। 

रोष जताते हुए नवीन केडिया ने कहा कि एक तरफ सरकार संस्कृत भाषा को मां का दर्जा देने की बात करती है तो वहीं संस्कृत भाषा में शास्त्री या आचार्य की पढ़ाई करने वाले हजारों युवाओं को संस्कृत अध्यापकों की भर्ती में तरजीह देकर उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ कर दोगली नीति अपना रही है। उन्होंने कहा कि संस्कृत विषय में शास्त्री आचार्य की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों बीए में वैकल्पिक तौर पर संस्कृत विषय की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों का संस्कृत के प्रति ज्ञान में जमीन आसमान का अंतर होता है। इतना ही नहीं सरकार शास्त्री आचार्य की पढ़ाई करने वाली छात्राओं को छात्रवृत्ति तक प्रदान करती है, लेकिन उसके बावजूद वर्तमान में निकाले गए संस्कृत अध्यापक के पद की भर्ती में आचार्य शास्त्री की डिग्री धारक विद्यार्थियों को प्रतिभागी बनने तक का मौका देकर सरकार उनके साथ विश्वासघात कर रही है। उन्होंने कहा कि संस्कृत की शिक्षा देने वाली शैक्षणिक संस्थाओं में दसवीं के बाद पंच वर्षीय बारहवीं के बाद तीन वर्षीय कोर्स संस्कृत विषय पर ही करवाया जाता है, जिसमें वेद, पुराण, न्याय, व्याकरण, गीता ग्रंथों का अध्ययन करवाने के साथ अंग्रेजी विषय का भी ज्ञान दिया जाता है, जिस कारण वे सामान्य स्नातक की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों से अधिक कुशल होते हैं। उन्होंने सीएम से शिक्षा नियमावली 2012 में संशोधन करते हुए शास्त्री आचार्य की डिग्री को भी योग्यता मानते हुए भर्ती में आचार्य शास्त्री डिग्री धारकों को भी शामिल किए जाने की मांग की। 

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