** सीनियोरिटी में आने के लिए एमआइएस में भी भरी गई गलत जानकारियां
जींद : प्रदेश के 200 से अधिक लेक्चरार ने पिं्रसिपल पद पर पदोन्नति पाने के
लिए शिक्षा निदेशालय को गलत जानकारी भेज दी। यही नहीं एमआइएस पोर्टल पर भी
इन शिक्षकों ने यही जानकारी भरी। मामला सामने आने के बाद कुछ सीनियर
लेक्चरर ने इन सभी लेक्चरार के पदोन्नति आवेदन पर आपत्ति जाहिर कर दी। ऐसे
में फिलहाल पदोन्नति का मामला तो लटक ही गया, साथ ही इन लेक्चरार को अब
पदोन्नति नहीं मिल सकेगी।
शिक्षा निदेशालय ने दिसंबर माह में पीजीटी यानी
लेक्चरार व हेडमास्टरों से प्राचार्य पद पर पदोन्नति के लिए आवेदन मांगे
थे। विभाग ने पीजीटी की वरिष्ठता क्रमांक 1383 तक के केस की पर्सनल फाइल की
समरी शीट, नो कंप्लेंट, नो विजिलेंस इन्क्वायरी दस्तावेज सहित 28 दिसंबर
तक भेजने के निर्देश दिए थे। आदेश मिलने के बाद संबंधित लेक्चर्स ने
अपने-अपने आवेदन मुख्यालय को भेज दिए थे। इनमें वरिष्ठता क्रमांक के तहत वे
लेक्चरर भी शामिल थे, जिन्हें 1995 में एडहॉक व 89 डे के अनुसार लगाया गया
था और बाद में 2003 में सभी को नियमित कर दिया गया था। इसके अलावा ऐसे
मास्टर भी शामिल थे, जो बाद में लेक्चरार के रूप में पदोन्नत हुए थे। मगर
2003 में नियमित हुए शिक्षकों ने 2003 की बजाय सन 1995 यानी नियुक्ति तिथि
से दिखाते हुए केस भेज दिए। साथ ही एमआइएस पर भी 1995 से ही अपनी
सीनियोरिटी भरने का काम किया। इसी प्रकार से मास्टरों ने भी लेक्चरार पद पर
पदोन्नति की तिथि की बजाय मास्टर के पद पर नियुक्ति की तिथि से अपने केस
भेज दिए। इस पर कई लेक्चररों ने निदेशालय के समक्ष आपत्ति जाहिर की कि जो
2003 में नियमित लेक्चरर को पदोन्नति में शामिल किया गया, जबकि वे उनसे
पहले ही नियमित नियुक्त हमारे नाम शामिल नहीं किए गए।
"एमआइएस पर सभी को सही जानकारी
भरनी थी। यदि किसी शिक्षक ने गलत सर्विस की जानकारी भरी है तो वह डीडीओ को
देखना चाहिए था। जींद में ऐसे केस सामने नहीं आए हैं।"-- वंदना गुप्ता, जिला
शिक्षा अधिकारी, जींद।
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