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Friday, 13 January 2017

बिहार में 2000 बच्चों वाला ऐसा सरकारी स्कूल, जहां पढ़ाई में ऑड ईवन फॉर्मूला लागू; हफ्ते में 3 दिन लड़के पढ़ते हैं, 3 दिन लड़कियां

** स्कूल में कमरे 4 हैं और 9वीं से 12वीं तक के बच्चे, सबको पढ़ाने के लिए प्रिंसिपल ने अपनाया अनूठा तरीका 

मधुबनी : बिहार के मधुबनी जिले के एक सरकारी स्कूल में पढ़ाई में भी ऑड-ईवन फॉर्मूला लागू है। हफ्ते में तीन दिन लड़के पढ़ते हैं और बाकी के तीन दिन लड़कियां स्कूल जाती हैं। स्कूल का नाम है गोकुल मथुरा सूड़ी समाज उच्च सह अंतर महाविद्यालय। 9वीं से 12वीं तक के स्टूडेंट्स के साथ स्कूल का यह ऑड-ईवन फॉर्मूला दो साल से जारी है। पर ऐसा किसी खास मकसद के तहत नहीं किया जा रहा। बल्कि जगह की कमी से निपटने के लिए ऐसा किया गया है। 

95 साल पुराना यह स्कूल जिले के बड़े स्कूलों में से एक है। स्कूल के प्रिंसिपल डॉ. विश्वनाथ पासवान ने बतया कि 'यहां करीब 2000 स्टूडेंट्स हैं। पहले कक्षाएं स्कूल के अपने बड़े परिसर में चलती थीं। लेकिन 2014 में भूकंप के कारण पुराना भवन क्षतिग्रस्त हो गया। जो बचा हुआ है वहां बच्चों को पढ़ाना उनकी जान खतरे में डालने जैसा था। इसलिए हमने प्लस टू के लिए बने नए भवन में 9वीं और 10वीं के स्टूडेंट्स को भी पढ़ाना शुरू कर दिया। लेकिन वहां सिर्फ चार कमरे हैं। किसी की पढ़ाई रुके नहीं, इसलिए हमने लड़के-लड़कियों को अलग-अलग दिन पढ़ाना शुरू किया। सोमवार, मंगलवार और बुधवार को सिर्फ छात्राओं की पढ़ाई होती है। बाकी तीन दिन लड़के पढ़ते हैं।' जब उनसे पूछा गया कि क्या शिक्षा विभाग के आदेश से यह व्यवस्था लागू की गई? तो पासवान बोले- 'नहीं, यह तो हमने अपने स्तर पर लागू किया है।' स्थानीय विधायक समीर कुमार महासेठ भी इसी स्कूल से पढ़े हैं। वे इस मामले को विधानसभा में भी उठा चुके हैं। मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री और शिक्षा विभाग के अधिकारियों को कई बार इसकी सूचना दी गई। फिर भी स्कूल की हालत जस की तस है। मधुबनी के कलेक्टर गिरिवर दयाल सिंह ने भी माना कि उन्हें स्कूल में तीन-तीन दिन छात्रों छात्राओं की अलग-अलग कक्षाएं चलने की बात पता है। यह पूछने पर कि दो साल में सुधार क्यों नहीं हुआ? सिंह ने कहा कि वह समस्या सुलझाने की कोशिश में लगे हैं। मधुबनी के प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी मो. अहसन ने भी यही बात दोहराई। 
95 साल पुराना है यह स्क्ूल 
  • यह स्कूल मधुबनी जिले का दूसरा सबसे बड़ा स्कूल है। इसकी स्थापना 1921 में की गई थी। 2014 के भूकंप में मुख्य भवन टूट गया था। 
  • यहां के बच्चे देश के कृषि मंत्री (चतुरानन मिश्र) और बिहार के गृह सचिव जैसे पदों पर रहे हैं। मौजूदा विधायक भी यहीं से पढ़े हैं।
  • भूकंप में क्षतिग्रस्त स्कूल का पुराना भवन। 

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