कुरुक्षेत्र : कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में शिक्षक शिक्षण
कार्य कितना करते हैं वह अलग बात है, लेकिन एक दूसरे के पीछे खूब दौड़ रहे
हैं। भले ही उसमें वो कीमती वक्त जाया होता हो जो शिक्षण और शोध कार्य को
देना चाहिए। आरटीआइ इस कार्य के लिए शिक्षकों के लिए बड़ा हथियार बन कर उभर
रहा है। कुवि में ऐसे कई शिक्षक हैं जो जन-सूचना के अधिकार का प्रयोग केवल
एक दूसरों की कमियां तलाशने के लिए कर रहे हैं। इससे समय और धन दोनों
बर्बाद हो रहे हैं।
कुवि के कामर्स विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ.
विरेंद्र पूनिया ने विभाग के सभी शिक्षकों के आवेदन पत्रों से लेकर उनकी
शिक्षा की पूरी जानकारी जन-सूचना अधिकार कानून के तहत मांगी है। इनमें से
एक आरटीआइ में उन्होंने कॉमर्स विभाग के प्रोफेसर डॉ. महाबीर सिंह की
शिक्षा की सूचना मांगी थी। डॉ. विरेंद्र पूनिया ने बताया कि इसके अनुसार
डॉ. महाबीर सिंह ने वर्ष 1992 में मेडिकल कॉलेज रोहतक से एक वर्षीय
डिप्लोमा किया था, लेकिन ठीक दो वर्ष बाद 1994 में डॉ. महाबीर सिंह ने
उस्मानिया विश्वविद्यालय से तीन वर्षीय स्नातक की डिग्री पूर्ण कर ली। डॉ.
महाबीर सिंह ने कहा कि उन्होंने मेडिकल डिप्लोमा के बाद सिर्फ एक वर्ष में
ही तीन वर्षीय डिग्री की है, लेकिन यह उस्मानिया विश्वविद्यालय से वन
सीटिंग प्लान के तहत हुई है। जो कानूनन सही है।
शिक्षकों की मांगी है
सूचना
डॉ. पूनिया ने सभी शिक्षकों की शिक्षा और आवेदनों से संबंधित
सूचनाएं मांगी हैं। इनमें किस-किस में कोई कमी है या नहीं यह तो नहीं पता,
लेकिन व्यथा हर एक की जुबां पर आती है। कुवि के सभी विभागों की पिछली तीन
वर्ष के हाजिरी रजिस्टर भी मांगे हैं। जिसके न देने पर मामला सूचना आयोग तक
गया है। सभी विभागों के विभागाध्यक्षों को कई बार चंडीगढ़ के चक्कर लगाने
पड़ रहे हैं।
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