चंडीगढ़ : हरियाणा के करीब 200 अनुदान प्राप्त (एडिड) स्कूलों से सरकार ने
मुंह मोड़ लिया है। सरकार इन स्कूलों को मैनेजमेंट कमेटियों के भरोसे
छोड़ने वाली है। हालांकि इन स्कूलों में स्वीकृत पदों पर काम कर रहे
शिक्षकों को अपने अधीन कर सकती है। ऐसे शिक्षकों की संख्या दो हजार के
आसपास है। वहीं अस्वीकृत पदों पर काम कर रहे लगभग पांच हजार कर्मचारियों की
कोई सुध नहीं ली गई है।
प्रदेश सरकार के निर्देश पर स्कूल शिक्षा विभाग
ने सभी सहायता प्राप्त स्कूलों से स्वीकृत पदों पर काम कर रहे कर्मचारियों
का ब्योरा मांगा है। उन्हें यह ब्योरा हर हाल में 9 जनवरी तक देना है।
प्रदेश में 243 स्कूल ऐसे हैं, जिनका संचालन संस्थाएं और प्रबंधन कमेटियां
संभालती हैं। इन स्कूलों में स्वीकृत पदों पर काम करने वाले शिक्षकों का 75
प्रतिशत वेतन सरकार देती है, जबकि 25 प्रतिशत स्कूल मैनेजमेंट द्वारा दिया
जाता है। आर्थिक मदद के अभाव में 43 स्कूल बंद हो चुके। अभी दो सौ स्कूल
संचालित हैं, जिनमें करीब डेढ़ लाख बच्चे पढ़ रहे हैं। सरकार एडिड कॉलेजों
के स्वीकृत पदों पर कार्यरत शिक्षकों का 95 फीसदी वेतन दे रही है। प्रदेश
सरकार एडिड स्कूलों में स्वीकृत पदों पर काम करने वाले शिक्षकों को अपने
अधीन कर सरकारी कालेजों में भेज सकती है। प्रदेश सरकार के इस फैसले से
करीब दो हजार शिक्षकों को तो लाभ होगा। मगर अस्वीकृत पदों पर काम कर रहे
करीब पांच हजार शिक्षकों व गैर शिक्षक कर्मचारियों के भविष्य पर संकट के
बादल मंडराने लगे हैं। सरकारी अनुदान नहीं मिलने की स्थिति में मैनेजमेंट
कमेटियों के सामने स्कूल बंद करने अथवा स्टाफ को निकालने के अलावा दूसरा
कोई विकल्प नहीं रह जाएगा। सबसे अधिक समस्या अभिभावकों के सामने आने वाली
है।
शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पीके दास पहले ही संकेत दे
चुके कि एडिड स्कूलों को सरकार अपने अधीन नहीं लेगी। विभाग के अधिकारिक
प्रवक्ता के अनुसार सरकार सहायता प्राप्त स्कूलों में स्वीकृत पदों पर काम
करने वाले स्टॉफ को ही अपने नियंत्रण में लेने पर विचार कर रही है।’ करीब
200 स्कूलों को उनके हाल पर छोड़ने की तैयारी1’ स्वीकृत पदों पर कार्यरत
रहे दो हजार शिक्षकों की सुध ली
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