जिला के एक स्कूल में बच्चों का शैक्षणिक पर्यवेक्षण
लिया गया। इन पर्यवेक्षण में बच्चों को प्रश्न पत्र दिए गए। इनमें कई
प्रश्नों के उत्तर चित्र देखकर देने थे। एक प्रश्न में तो चित्र में दी गई
तीलियों को देखकर पहचानना था कि चित्र में कितनी तीलियां हैं लेकिन इन
तीलियों की संख्या साफ नहीं थी। दूसरे प्रश्न में सिक्कों को पहचान-कर
उत्तर देना था कि कौन-सा सिक्का पांच का है और कौन-सा दस का। मगर इस प्रश्न
में भी किसी भी सिक्के का प्रिंट साफ नहीं दिख रहा था।
शिक्षा विभाग
ने बच्चों का शिक्षा स्तर जानने के लिए शैक्षणिक पर्यवेक्षण शुरू किए थे
ताकि संबंधित विषयों के टीचर की परफॉरमेंस का भी पता चल सके। इन पर्यवेक्षण
में स्कूलों में बच्चों का लिखित परीक्षा के माध्यम से शिक्षा स्तर जानना
है। इन परीक्षाओं में अच्छा प्रदर्शन नहीं करने वाले सब्जेक्ट के टीचर को
दोबारा मौका भी दिया जाएगा। कई स्कूलों में शैक्षणिक पर्यवेक्षण होना है,
जबकि कई स्कूलों में हो चुका है।
"स्कूलों में शैक्षणिक पर्यवेक्षण के
लिए शिक्षा निदेशालय से प्रश्न-पत्र और उत्तर कुंजी भेजे जा रहे हैं। अगर
किसी स्कूल में प्रश्न-पत्र और उत्तर-कुंजी में त्रुटियां हैं तो शिक्षा
विभाग उच्चाधिकारियों को बता दिया जाएगा।"-- उमाशर्मा, जिला शिक्षा अधिकारी,
अम्बाला।
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