** उच्च शिक्षा निदेशक ने कॉलेज की ग्रांट रोककर रिकवरी के आदेश दिए
कैथल : कॉलेज के प्राध्यापकों द्वारा फर्जी दस्तावेज देकर एचआरए (मकान
किराया भत्ता) हड़पने का मामला सामने आया है। गलत दस्तावेज दिखाकर डीएवी
कॉलेज पूंडरी के नौ प्राध्यापक वर्षो तक एचआरए हड़पते रहे, लेकिन विभागीय
जांच में सारी गड़बड़ी सामने आ गई।
एसडीएम कैथल की जांच में भी
प्राध्यापकों द्वारा की गई 12 लाख रुपये की धोखाधड़ी सामने आई। जांच में
सामने आया कि जिस मकान के नाम पर किराया लिया जा रहा था, वहां कोई
प्राध्यापक नहीं रहता। इसके बाद उच्च शिक्षा निदेशक मोहम्मद शाइन ने एचआरए
के रूप में हड़पे गए 12 लाख रुपये की रिकवरी के आदेश दिए हैं। मामला वर्ष
2011 से 2013 का है। आरोप है कि डीएवी कॉलेज के नौ प्राध्यापकों ने मकान
किराये के जाली शपथ पत्र दिए हुए थे। इनके आधार पर वर्ष 2011 से 2013 तक
लाखों रुपये का एचआरए लिया गया।
नियम के अनुसार शिक्षक को कॉलेज से आठ
किलोमीटर के दायरे में रहना होता है और उसी को एचआरए का फायदा मिलता है।
कॉलेज के नौ प्राध्यापकों ने झूठा शपथ पत्र देकर बताया कि वे आसपास के
गांवों में किराये के मकान में रहते हैं, जबकि कई शिक्षकों ने स्वयं का
मकान होने की बात कही। जब शिक्षा विभाग के अधिकारी उक्त प्राध्यापकों
द्वारा बताए गए मकानों पर गए तो पता चला कि वहां कोई प्राध्यापक नहीं रह
रहा। कई प्राध्यापक तो ऐसे थे जिन्होंने दूसरे जिलों में रहते हुए एचआरए के
नाम पर पैसे लिए। कैथल एसडीएम ने भी अपनी जांच में सभी आरोप सही पाए। जांच
रिपोर्ट के बाद निदेशालय ने कॉलेज की ग्रांट रोक दी और हड़पे गए पैसे की
रिकवरी के आदेश दिए। आरोपियों में शामिल एक प्राध्यापक कुरुक्षेत्र
विश्वविद्यालय का रजिस्ट्रार भी बन चुका है।
"निदेशालय के तरफ से उन्हें गलत
तरीके से लिए गए एचआरए की रिकवरी के आदेश मिले हैं। जिन प्राध्यापकों ने
गलत एचआरए लिया है, उनके वेतन से पैसे काटकर इसकी रिकवरी की जाएगी।"-- डॉ.
सुभाष तंवर, कॉलेज प्राचार्य।
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