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Friday 20 December 2013

स्कूल शिक्षा विभाग के चार अधिकारियों को आयोग ने किया तलब

** आरटीआई को गंभीरता से नहीं लेने का मामला 
रोहतक : हरियाणा सूचना अधिकार मंच के राज्य संयोजक एवं आरटीआई कार्यकर्ता सुभाष ने स्कूल शिक्षा विभाग हरियाणा से राज्य के स्कूलों में एक जनवरी 2010 से लेकर 15 नवंबर 2012 तक दिये गये पेंटिंग के बजट के संबंध में 8 बिंदुओं पर जानकारी मांगी थी। सूचना आवेदन को गंभीरता से न लेने पर राज्य सूचना आयोग ने स्कूल शिक्षा विभाग एवं उच्चतर शिक्षा विभाग के 4 अधिकारियों को 7 जनवरी को आयोग में तलब किया है। 
आरटीआई कार्यकर्ता सुभाष ने बताया कि 15 अक्टूबर, 2012 को राज्य जन सूचना अधिकारी, माध्यमिक शिक्षा विभाग, हरियाणा को भेजे इस आवेदन को राज्य जन सूचना अधिकारी ने सूचना आवेदन को धारा 6(3) के तहत राज्य जन सूचना अधिकारी उच्चतर शिक्षा विभाग एवं उत्कर्ष सोसायटी के राज्य जन सूचना अधिकारी के पास भेज दिया। इसके अलावा इस कानून की धारा 5.4, 5.5 के तहत सेकेंडरी शिक्षा विभाग के अधीक्षक एचआरएल/वर्क ब्रांच, सी.ई.सी. ब्रांच, बजट ब्रांच के अलावा सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को भी ट्रांस्फर किया। लेकिन 4 माह बीतने के बावजूद कोई जानकारी नहीं मिली। उन्होंने 120 दिन बीतने के बाद शिक्षा विभाग के प्रथम अपील अधिकारी को 23 फरवरी, 2013 को प्रथम अपील की। प्रथम अपील अधिकारी ने भी आर.टी.आई. आवेदन को गंभीरता से नहीं लिया और प्रथम अपील को 6 माह तक लटकाये रखा। आखिरकार प्रथम अपील की 7 महीने बाद यानी 16-9-2013 को दूसरी अपील राज्य सूचना आयोग में दायर की थी। राज्य सूचना आयोग ने मामले को गंभीरता से लेते हुए स्कूल शिक्षा विभाग के प्रथम अपील अधिकारी-कम संयुक्त निदेशक, राज्य जन सूचना अधिकारी, स्कूल शिक्षा विभाग, राज्य जन सूचना अधिकारी, कम सदस्य सचिव, उत्कर्ष सोसायटी और उच्चतर शिक्षा विभाग के राज्य जन सूचना अधिकारी को आयोग में तलब किया है। साथ ही सूचना आयोग ने 23-12-2013 तक आरटीआई कार्यकर्ता को मांगी गई सूचना उपलब्ध कराने का नोटिस दिया है तथा 31-12-2013 तक आवेदक को रीवाइंडर देने को कहा गया है। मामले की सुनवाई 7 जनवरी, 2014 को सूचना आयुक्त सज्जन सिंह के समक्ष सुनवाई होगी। यदि मामले में उपरोक्त अधिकारी सूचना देने में लापरवाही के दोषी पाए गए तो उन पर जुर्माना लगाया जाएगा। 
ये हो सकती है कार्रवाई 
आयोग सभी अधिकारियों पर लापरवाही का दोषी पाये जाने पर 25 हजार रुपए तक जुर्माना कर सकता है। इसके अलावा कारण बताओ नोटिस भी जारी कर सकता है। साथ ही विभागीय कार्यवाही के लिए भी लिखा जा सकता है।                           db

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