कुरुक्षेत्र : कंप्यूटर के बिना आधुनिक समय में पूर्ण शिक्षण प्रक्रिया अधूरी है, यह ज्ञान तो शिक्षा विभाग को है, लेकिन इस पर अमल शायद ही वर्तमान समय में किया जा रहा है। हालात ये हैं कि जिले में लगभग सभी वरिष्ठ माध्यमिक स्कूलों में करोड़ों रुपये से तैयार कंप्यूटर लैब धूल फांक रही हैं। पिछले वर्ष कंप्यूटर शिक्षक और कंप्यूटर लैब अटेंडेंट हटाने के बाद आज तक इनका नाम लेवा भी नहीं बचा है। ऐसे में कैसे छात्रों को कंप्यूटर का ज्ञान दिया जाएगा कि वे बदलते जमाने के साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ सके।
प्रदेश शिक्षा विभाग की ओर से पांच वर्ष पूर्व सभी वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों में कंप्यूटर लैब स्थापित की थी और छात्रों को इनको चलाना सिखाने के लिए कंप्यूटर शिक्षक और लैब के रखरखाव के लिए लैब अटेंडेंट भी लगाए थे। एक बारगी ऐसा लगा था कि सरकारी स्कूल भी निजी स्कूलों की तर्ज पर हाइटेक हो गए हैं। शिक्षा विभाग की ओर से एमरोन कंपनी से समझौता कर जिले में 25 स्कूलों में लैब बनवाई थी। हर स्कूल में 25 कंप्यूटर रखे गए थे। इसके अलावा शिक्षा विभाग की ओर से आइसीटी (इनफारमेंशन एंड कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी) योजना के तहत जिले के 88 स्कूलों में कुछ और लैब तैयार कराई थी। इसके तहत भी हर स्कूल में दो सर्वर और 20 कंप्यूटर रखे गए थे। इन लैब पर प्रति लैब लगभग पांच लाख रुपये का खर्च आया था। यानी इन लैबों के निर्माण पर चार करोड़ 40 लाख रुपये खर्च किए गए। पिछले वर्ष 15 मई 2015 को एमरोन के साथ किया समझौता पूरा हो गया था। जिसके बाद कंपनी ने अपनी लैब उठवा ली थी, लेकिन आसीटी के तहत लगी कंप्यूटर लैब आज भी स्कूलों में स्थापित हैं जो अब धूल फांक रहे हैं।
30 मई 2015 को हटे थे कंप्यूटर शिक्षक
शिक्षा विभाग की ओर से 30 मई 2015 को स्कूलों से कंप्यूटर शिक्षक और लैब अटेंडेंट को हटा दिया था। जिसके बाद उन्होंने धरने प्रदर्शन भी किए और मामला न्यायालय में भी गए, लेकिन इस मामले का कोई हल नहीं निकल पाया। ऐसे में बिना शिक्षक और कंप्यूटर लैब अटेंडेंट के ये लैब खाली हैं। बच्चे इनमें जाएं कैसे शिक्षकों को यह डर सताता है कि कहीं कंप्यूटर लैब को खराब न कर दें। ऐसे में अब कंप्यूटर लैब की धूल साफ करने वाला भी कोई नहीं है।
जनरेटर भी हो गए खराब
शिक्षा विभाग की ओर से गांव में बिजली की समस्या का ध्यान में रखकर सभी वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों में जनरेटर की सुविधा दी थी। अब लैब चलाने के काम तो जनरेटर नहीं आते। जिसके कारण इनका तेल भी विभाग नहीं देता। ऐसे में जनरेटर भी बंद पड़े हैं और खराब होने के कगार पर हैं और कुछ तो खराब भी हैं।
कंप्यूटर की कक्षा के आए थे आदेश
यह नहीं है कि कंप्यूटर शिक्षकों को हटाने के बारे में शिक्षा विभाग को कोई जानकारी नहीं है। इसके बावजूद विभाग ऐसे आदेश भी दे रहा है कि बच्चों को कंप्यूटर शिक्षा दी जाए। हर वर्ष की तरह इस बार भी विभाग की ओर से जारी टाइम टेबल में कंप्यूटर की कक्षा का जिक्र किया गया है। ऐसे में शिक्षकों के समझ में ये नहीं आ रहा कि वे यह कक्षा किसको दें।
होने चाहिए कंप्यूटर शिक्षक : विरेंद्र
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय कनिपला के प्राचार्य विरेंद्र वालिया का कहना है कि कंप्यूटर लैब का फायदा तभी छात्रों को मिल सकता है जब उन्हें सिखाने वाला हो। शिक्षा विभाग को कंप्यूटर शिक्षक की व्यवस्था जरूर करनी चाहिए।
शिक्षा के साथ मजाक : मित्तल
अध्यापक संघ के जिला महासचिव पवन मित्तल का कहना है कि शिक्षा विभाग स्वयं ही शिक्षा के साथ मजाक कर रहा है। उन्होंने कहा कि करोड़ों रुपयों की लैब तैयार कर पैसा पानी की तरह बहाया गया है। इसके बाद भी स्कूलों में विद्यार्थियों को कोई लाभ नहीं हो रहा है। उनका कहना है कि अगर इनको चलाने वाला ही नहीं है तो ऐसी लैब का औचित्य क्या है !! dj
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