नई दिल्ली: एक ऐसी टेक्नोलॉजी विकसित की जा रही है कि बिना किताब खोले ही
उसे पढ़ा जा सके। इसका उपयोग कई कामों के लिए हो सकता है: पुरानी जर्जर
किताब को खोलने की जरूरत भी नहीं होगी, उसका अध्ययन वैसे ही किया जा सकेगा।
बिना लिफाफा खोले भी गोपनीय चिट्ठी (स्पाइ मेल) पढ़ी जा सकेगी। दरअसल,
दुनिया भर में कई ऐसी लाइब्रेरी हैं जहां ऐसी किताबें हैं जो सदियों पुरानी
हैं। इनके कर्ता-धर्ता नहीं चाहते कि कोई इन्हें छुए भी। इनका रखरखाव तो
मुश्किल है ही, इन सबके डिजिटल प्रिंट रखना मुश्किल हो रहा है क्योंकि यह
काफी खर्चीला काम भी है।
कई ऐसी कलाकृतियां हैं जो दुहरी हैं
एक के नीचे
एक। इन्हें भी बार-बार निकालना मुनासिब नहीं है। शोध-अनुसंधान के दौरान भी
जब-तब पुरानी किताबें मिलती रहती हैं। इन्हें पलटना भी मुश्किल होता है। डर
रहता है कि ये कहीं नष्ट न हो जाएं।
कैसे काम करेगी :
कैंब्रिज के
मैसाच्युसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआइटी) के वैज्ञानिकों ने इस
टेक्नोलॉजी के लिए टेट्राहर्ट्ज रेडिएशन का उपयोग किया है। इसका उपयोग ही
एयरपोर्ट या रेलवे स्टेशनों पर सामान की स्कैनिंग करने वाली मशीनों में
किया जाता है। यह एक्स-रे से इस मामले में बेहतर है कि यह स्याही और कागज
के बीच के अंतर को भी पकड़ लेता है। यह इनके हाइ रिजॉल्यूशन इमेज भी देता
है। नई टेक्नोलॉजी सिर के एक बाल के पांचवें हिस्से की बारीकियां भी पकड़
सकती है। इससे यह जानना भी आसान होगा कि ऊपर लिखी चीज के नीचे कोई चीज कोड
वर्ड में तो नहीं लिखी है। इसलिए इसका उपयोग जासूसी के राज खोलने में भी
किया जा सकता है।
अब तक की प्रगति :
एमआइटी के इलेक्टिकल इंजीनियर बरमक
हशमत का कहना है कि अभी हम इसे और विकसित करने के प्रयास में लगे हुए हैं।
अभी 20 पेज तक की चीजें पढ़ी जा पा रही हैं लेकिन आठ पेज के बाद चीजें
धुंधली होने लगती हैं। जल्दी ही इसका निदान कर लिया जाएगा और मोटी किताबों
को भी बिना खोले उनके प्रिंट निकाल लिए जाएंगे। आने वाले दिनों में
इंफ्रारेड लाइट का उपयोग भी किया जा सकता है। इसे आंखों से नहीं देखा जा
सकता, सिर्फ इसकी गर्मी महसूस की जा सकती है। सूरज से निकलने वाले प्रकाश
का आधा हिस्सा इंफ्रारेड लाइट ही है। dj
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