नई दिल्ली: दिल्ली के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी से निबटने के लिए
अब एक स्थायी शिक्षक को दो स्कूलों में अध्यापन कार्य का जिम्मा सौंपा जा
रहा है। एक स्कूल जहां वह नियुक्त है वहीं दूसरा स्कूल वो जहां उसे
स्थानांतरण की व्यवस्था के अंतर्गत सप्ताह में तीन दिन पढ़ाने के लिए कहा
जा रहा है। शिक्षक संगठन इसे सरकार का आड -इवन फॉमरूला करार दे रहे हैं
जिसके माध्यम से दोनों ही स्कूलों के विद्यार्थियों का भविष्य दांव पर है।
इसका विरोध शुरू हो गया है। राजकीय विद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष सीपी
सिंह व महासचिव अजयवीर यादव ने बताया कि सरकारी स्कूलों में करीब 34 हजार
शिक्षकों के पद खाली हैं लेकिन सरकार अतिथि शिक्षकों को नियमित करने के
अपने चुनावी वादों को लेकर उलझी हुई है जिससे स्कूलों में नए शिक्षकों की
भर्ती प्रक्रिया लटकी हुई है। ऐसे में स्कूलों में शिक्षकों की कमी से
निबटने के लिए जिला दक्षिण पूर्व में तो एक आदेश जारी कर 128 शिक्षकों को
तीन दिन के लिए दूसरे स्कूलों में भेजा जा रहा है यानी तीन दिन अपने स्कूल
में और तीन दिन दूसरे स्कूल में। शिक्षक संघ का कहना है कि निदेशालय के इस
फॉमरूले से दोनों ही स्कूलों के बच्चों का भविष्य दांव पर है और सरकार को
चाहिए कि वो जल्द से जल्द स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू
करें। dj
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