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Tuesday, 13 September 2016

आठवीं तक फेल न करने की नीति पर जल्द फैसला कर सकता है केंद्र

** छठी क्लास से ही परीक्षा पास करना होगा अनिवार्य
** मूल्यांकन के बेहतर और व्यावहारिक तरीके तलाशे जा रहे 
** छात्रों और अभिभावकों से भी मांगी गई परीक्षा के तरीके पर राय

नई दिल्ली : आठवीं क्लास तक बच्चों को स्कूल में फेल नहीं करने की नीति पर केंद्र सरकार जल्द अंतिम फैसला कर सकती है। इसके तहत नौवीं के बजाय छठी कक्षा से ही छात्रों के लिए परीक्षा पास करना जरूरी हो जाएगा। इस एलान से पहले नई व्यवस्था में छात्रों के मूल्यांकन की बेहतर और व्यावहारिक प्रक्रिया को लेकर विचार किया जा रहा है। इस सिलसिले में छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों से भी राय ली जा रही है। 
मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्रलय से जुड़े सूत्र का कहना है, ‘इस नीति में बदलाव तो लगभग तय है। लेकिन इतने महत्वपूर्ण मामले में कोई भी बदलाव जल्दबाजी में नहीं किया जा सकता। साथ ही परीक्षा का पुराना नियम ही सर्वश्रेष्ठ है, यह भी नहीं कहा जा सकता। इसलिए छात्रों के मूल्यांकन के रास्ते तलाशे जा रहे हैं।’ इस संबंध में छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों की राय लेकर नई प्रक्रिया सुझाने के लिए केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) को कहा गया है। वर्ष 2009 में शिक्षा का अधिकार (आरटीई) कानून लागू करने के साथ ही यह अनिवार्य कर दिया गया था कि आठवीं तक छात्रों को फेल नहीं किया जाएगा और उनकी प्रगति को जानने के लिए सीसीई (निरंतर और व्यापक मूल्यांकन) पद्धति का सहारा लिया जाएगा। सूत्र कहते हैं, ‘नई व्यवस्था में यह भी ध्यान रखना है कि छात्रों पर कम उम्र में परीक्षा को लेकर ज्यादा मानसिक दबाव नहीं बने। इसलिए छठी के बाद की कक्षाओं के मूल्यांकन की और बेहतर एवं व्यावहारिक व्यवस्था तलाश की जा रही है। साथ ही फेल होने वाले छात्रों को बिना पूरा वर्ष गंवाए फिर से मौका देने और उन्हें अतिरिक्त सहायता उपलब्ध करवाने की व्यवस्था को लेकर भी विचार किया जा रहा है।’ इस संबंध में तमाम सुझावों पर विचार करने के बाद सीबीएसई की परीक्षा सुधार समिति अपनी रिपोर्ट एचआरडी मंत्रलय को सौंपेगी।

ज्यादातर राज्य मौजूदा नीति के खिलाफ
ज्यादातर राज्य आठवीं तक फेल नहीं करने की मौजूदा नीति के खिलाफ हैं क्योंकि इसके बाद से स्कूलों में जवाबदेही का स्तर बहुत कम हो गया है। साथ ही नौवीं और उसकी बाद की कक्षाओं में छात्रों पर अचानक बहुत बोझ आ जाता है और इन कक्षाओं में फेल होने का प्रतिशत तेजी से बढ़ता जा रहा है। 
कई समितियां जता चुकी हैं चिंता
नई शिक्षा नीति का मसौदा तैयार करने के लिए पूर्व कैबिनेट सचिव टीएसआर सुब्रrाण्यम के नेतृत्व में बनाई गई समिति ने भी मौजूदा नीति को बदलने की सिफारिश की थी। हरियाणा की तत्कालीन शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल के नेतृत्व में बनाई गई राज्यों की उप समिति की दो साल पहले आई रिपोर्ट भी फेल नहीं करने की व्यवस्था को लेकर चिंता जता चुकी है।                                                                   dj

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