** बोर्ड सचिव बोले-जांच के बाद आपत्तियां सही मिली तो पात्रों को मिलेगा लाभ
भिवानी : एचटेट की उत्तर कुंजी जारी होने के बाद शिक्षा बोर्ड में आपत्तियां पहुंचनी शुरू हो गई हैं। हालांकि बोर्ड आपत्तियों के लिए वेबसाइट पर 21 से 27 जून तक लिंक जारी करेगा, लेकिन कुछ परीक्षार्थियों विषय विशेषज्ञों ने कुछ प्रश्नों के उत्तरों पर आपत्तियां बोर्ड सचिव को ईमेल के माध्यम से भेजी हैं। यह तो बाद में पता चलेगा कि आपत्तियां उचित हैं या नहीं। इस बार एचटेट लेवल-3 की परीक्षा में लगभग एक लाख 35 हजार परीक्षार्थी बैठे थे।
राजकीय महाविद्यालय बौंदकलां के हिंदी विभाग में कार्यरत सहायक प्रोफेसर डॉ. सुरेंद्र कुमार ने बोर्ड सचिव को मेल के माध्यम से बताया कि परीक्षा के सब कोड संख्या-161 सेट सी के प्रश्न पत्र के आधार पर बोर्ड की ओर से जारी उत्तर कुंजी में सात प्रश्नों के उत्तर गलत हैं। कई परीक्षार्थी पात्रता प्राप्त करने से वंचित रह सकते हैं। उन्होंने मांग की है कि गलत उत्तरों के अंकों का लाभ दिया जाए।
मैथमेटिक्स में भी गलत हैं दो आंसर
सेक्टर-13 निवासी एचटेट पात्र सीमा शर्मा ने बताया कि मैथमेटिक्स सेट-ई में प्रश्न-96 के चारों ऑप्शन गलत हैं, जबकि प्रश्न-146 में आंसर की में तीसरा ऑप्शन ठीक बताया है, जबकि सही नंबर-2 पर है। सीमा ने दोनों प्रश्नों की उत्तर की दोबारा से जांच कराने की मांग की। वह अपनी आपत्ति बोर्ड की वेबसाइट पर भी दर्ज कराएगी।
बोर्ड की वेबसाइट पर दर्ज कराएं आपत्तियां
"एचटेटलेवल-3 की जारी करने के बाद बोर्ड की ओर से आपत्तियां मांगी गई हैं। किसी को कोई आपत्ति है, तो वह 21 जून से 27 जून तक अपनी आपत्ति बोर्ड की वेबसाइट पर दर्ज करवा सकता है।"-- पंकज,बोर्ड सचिव, हरियाणा
सोशल मीडिया पर परीक्षा रद्द होने की अफवाह
सोशल मीडिया पर सोमवार दोपहर बाद एचटेट रद्द होने की सूचना फैल रही है। इसका कारण बताया गया है कि एचटेट के पेपर पर 18 फरवरी की तिथि थी। इसलिए पेपर रद्द हो सकता है। उधर, बोर्ड ने इन अफवाहों को पूरी तरह से बकवास बताया है। बोर्ड चेयरमैन जगबीर सिंह ने बताया कि यह अफवाह उन लोगों द्वारा फैलाई गई है, जो पेपर क्वालीफाई नहीं कर पाए।
हर बार दर्ज की जाती हैं आपत्तियां
एचटेट परीक्षा में आपत्तियां दर्ज करवाना पहली बार नहीं हो रहा है। हर बार आपत्तियां दर्ज कराई जाती है। गत वर्ष भी लगभग साढ़े पांच हजार आपत्तियां दर्ज कराई थी। बोर्ड प्रशासन द्वारा आपत्तियां दर्ज करवाने की अंतिम तिथि 27 जून है। इसके बाद बोर्ड प्रशासन पेपर सेंटरों से आई आपत्तियां प्राप्त करेगा सही पाई गई तो बच्चों को लाभ दिया जाएगा।
इन 7 सवालों के जवाब में गड़बड़ी के आरोप
{प्र.-33: मैं खाना खा चुका हूं। भूतकाल भेद इंगित कीजिए।
आंसरकी : पूर्णभूत।
विशेषज्ञ: आसन्नभूत। तर्क:क्रियाके जिस रूप में यह ज्ञात हो कि कार्य समाप्त हुए बहुत समय बीत चुका है, उसे पूर्ण भूत कहते हैं। जैसे मैंने खाना खाया था। आसन्नभूत: कार्यअभी अभी संपन्न हुआ है, उसे आसन्न भूत कहते हैं। जैसे मैं खाना खा चुका हूं।
{प्र. 44: पिष्टपेषणसे भावार्थ है।
आंसरकी : दोहराव।
विशेषज्ञ: नंबर-4पर महिमा मंडन। तर्क: पिष्टपेषणका शब्दार्थ होता है दोहराव या पिसाई। जबकि भावार्थ है महिमा मंडन। प्रश्न में शब्दार्थ नहीं भावार्थ पूछा है। यदि उत्तर दोहराव माना तो पिसाई भी मानना पड़ेगा, क्योंकि शब्दार्थ दोनों ही हैं।
{प्र.104 :उसमात्रिक समछंद का नाम बताइए, जिसके प्रत्येक चरण में 28 मात्रा होती हैं, 16-12 पर यति होती है और अंत में लघु गुरु का प्रयोग होता है।
आंसरकी : छप्पय।
विशेषज्ञ: नंबर-3पर हरिगीतिका।
तर्क: लक्षणहरिगीतिका छंद के हैं, क्योंकि छप्पय विषम छंद और यह रोला और उल्लाला का मिश्रण है।
{प्र. 114:इनमेंसे देवनागरी लिपि का प्रयोग किस भाषा के लिए नहीं होता।
आंसरकी : नंबर-1पर तमिल।
विशेषज्ञ: नंबर-1-4पर निर्धारित क्रमश: तमिल गुजराती का माना है।
तर्क: गुजरातीका विकास बांग्ला और पंजाबी कीतरह नागरी लिपि से हुआ है। उसकी लिपि गुजराती है। देवनागरी में हिंदी के अतिरिक्त संस्कृत, मराठी, कोंकणी, मैथिली और नेपाली भाषा भी लिखी जाती है।
{प्र. 116:वहचलते-चलते अचानक रुक गया। इस वाक्य में रेखांकित शब्द क्या है।
आंसरकी : क्रियाविशेषण।
विशेषज्ञ: नंबर-1पर अवयव चार नंबर पर क्रिया विशेषण। तर्क: जिनशब्दों में लिंग, वचन काल के आधार पर कोई परिवर्तन नहीं होता, उन्हें अवयव कहते हैं। ये चार प्रकार के होते हैं- क्रिया विशेषण, संबंध बोधक, समुच्चय बोधक और विस्मयादि बोधक। क्रिया विशेषण अवयव भी है, इसलिए दोनों विकल्प सही हैं।
{प्र. 140:किसविकल्प में केवल एक उपसर्ग से निर्मित शब्द नहीं है।
आंसरकी : नंबर-2पर अध्यादेश।
विशेषज्ञ: नंबर-4पर अत्याधुनिक।
तर्क: अध्यापक,अध्यादेश और अध्यात्म शब्द में अधि उपसर्ग का प्रयोग हुआ है, जबकि अत्याधुनिक में अति का प्रयोग हुआ है।
{प्र. 112:शुद्धाद्वैतवाददर्शन के प्रवर्तक हैं।
आंसरकी : नंबर-4पर विष्णु स्वामी।
विशेषज्ञ: नंबर-3पर वल्लभाचार्य।
तर्क: विष्णुस्वामी ने रूद्र संप्रदाय की स्थापना की थी, जिसमें आगे चलकर वल्लभाचार्य हुए और उन्होंने शुद्धाद्वैतवाद दर्शन का प्रवर्तन किया। db
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