नई दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) प्रशासन द्वारा तदर्थ शिक्षकों की
नियुक्ति के लिए जारी पत्र से तदर्थ शिक्षकों की परेशानी और बढ़ गई है।
ऐसा माना जा रहा है कि इस बदलाव के बाद एक बार संबंधित विभाग में और दूसरी
बार कॉलेज के पैनल में साक्षात्कार होगा। स्थायी नियुक्ति की बाट जोह रहे
इन शिक्षकों को अपनी पुनर्नियुक्ति के लिए नए नियम का इंतजार करना होगा। कई
तदर्थ शिक्षक और आवेदक इसे मानसिक उत्पीड़न बता रहे हैं। यही नहीं अब
तदर्थ शिक्षकों के ग्रीष्मकालीन वेतन पर भी संकट आ गया है। यह पत्र ऐसे समय
में आया है जब शिक्षक संगठन तदर्थ शिक्षकों की स्थायी नियुक्ति को लेकर
मोर्चा खोले हुए हैं।
डीयू प्रशासन ने कॉलेजों के प्रिंसिपल और
विभागाध्यक्ष को पत्र लिखा है। इसमें उल्लेख है कि विश्वविद्यालय की
वेबसाइट पर एडहॉक के लिए प्रोफार्मा बनेगा, जिसमें शिक्षक आवेदन करेंगे।
इसके बाद तदर्थ शिक्षकों की नियुक्तियों को लेकर दिशा-निर्देश दिए जाएंगे।
तदर्थ शिक्षकों की नियुक्ति के लिए आए इस पत्र की सभी शिक्षक संगठनों ने
आलोचना की है। उन्होंने कुलपति को इस संबंध में पत्र लिखकर इस निर्णय को
तत्काल वापस लेने की मांग की है। दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संगठन (डूटा)
की अध्यक्ष डॉ. नंदिता नारायण का कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन का यह
निर्णय चौंकाने वाला है। डीयू में पांच हजार तदर्थ शिक्षक हैं। जुलाई में
तदर्थ शिक्षकों की नियुक्तियां होने वाली हैं। कॉलेज पैनल बनाने से लेकर
काफी काम कर चुके हैं, इसके बाद यह पत्र आना हमें स्वीकार नहीं है। हम इसे
वापस लेने की मांग करते हैं।
शिक्षक संगठन एकेडमिक फॉर एक्शन एंड
डेवलेपमेंट के अध्यक्ष आदित्य नारायण मिश्र का कहना है कि यह सरकार के
इशारे पर किया जा रहा है। शिक्षा के बजट में 50 फीसद कटौती का यह भी एक
तरीका है। कार्यकारी समिति और विद्वत परिषद के सदस्यों ने भी कुलपति को
पत्र भेजकर अपनी आपत्ति जताई है और इसे शिक्षकों के प्रतिकूल बताया
है।1नेशनल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट के अध्यक्ष प्रो. एके भागी का कहना है
कि जब पहले से 2007 में तदर्थ शिक्षकों के लिए बनी नीति है, इसके बाद अचानक
नया दिशा-निर्देश लाना जिससे शिक्षकों में भ्रम हो हमें स्वीकार नहीं है।
इस संबंध में हमने भी कुलपति को पत्र लिखकर इसे वापस लेने की मांग की है। dj
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