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Thursday, 30 June 2016

अब फेल होने के डर से बच्चों को मिलेगी मुक्ति

** चुनौती 2018 के जरिये सरकारी स्कूलों की स्थिति सुधारेगी सरकार
नई दिल्ली : दिल्ली के सरकारी स्कूलों में साल दर साल नौवीं कक्षा के खराब नतीजों के कारण बच्चों के चौपट होते भविष्य को बचाने के लिए दिल्ली सरकार ने कोशिश तेज कर दी है। सरकार ‘चुनौती 2018’ के जरिये नौवीं में फेल होने के भय से ग्रस्त बच्चों की बुनियाद मजबूत करेगी। इसके तहत सरकारी स्कूलों में छठवीं कक्षा से ही बच्चों के कमजोर पहलुओं को मजबूत बनाने की कोशिश की जाएगी। इस काम के लिए स्कूलों के प्रिंसिपलों को विशेष अधिकार दिए जाएंगे।
बुधवार को दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने प्रेसवार्ता में कहा कि सरकारी स्कूलों में नौवीं कक्षा में पढ़ने वाले छात्रों के नतीजे लगातार खराब हो रहे हैं। वर्ष 2013-14 के दौरान नौवीं कक्षा में पढ़ने वाले 44 फीसद छात्र वार्षिक परीक्षा में फेल हुए थे। 2014-15 में यह आंकड़ा 48 फीसद हो गया। इसके बाद 2015-16 में नौवीं कक्षा की वार्षिक परीक्षा में कुल 49.22 फीसद छात्र फेल हो गए। इस आंकड़े का इस तरह बढ़ना चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने वर्ष 2011 में नो डिटेंशन पॉलिसी लागू की थी। इसके तहत आठवीं कक्षा तक किसी छात्र को फेल नहीं कर सकते। इसका नतीजा यह निकला कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों में फेल होने का खौफ नहीं होने से उनमें पढ़ाई के प्रति रुचि कम हुई। आठवीं पास करने के बाद जब वह नौवीं कक्षा में आते हैं तो कई छात्रों की स्थिति ऐसी होती है कि उन्हें ठीक से हंिदूी पढ़ना-लिखना तक नहीं आता। किसी का भाषा ज्ञान थोड़ा ठीक हुआ तो उसे गणित, विज्ञान की कोई समझ नहीं। यह चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी की सरकार के एजेंडे में शिक्षा व्यवस्था में व्यापक सुधार सबसे ऊपर है, लेकिन सिर्फ नए स्कूल खोलने से शिक्षा व्यवस्था में सुधार नहीं हो सकता है। 
उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों के छठवीं, सातवीं, आठवीं और नौवीं कक्षा में पढ़ने वाले छात्रों को सही मायने में विषय वस्तु का ज्ञान हो और वह परीक्षा पास कर सकें, इसलिए ‘चुनौती 2018’ नाम से एक स्कीम शुरू करने का फैसला लिया गया है। चुनौती 2018 के तहत सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले वह छात्र जो सामान्य छात्रों से कमजोर हैं, उनको अलग वर्ग में रखा जाएगा। यह प्रक्रिया 14-15 जुलाई से शुरू हो जाएगी। जिन छात्रों की समस्या एक जैसी है उनका अलग ग्रुप बनाया जाएगा और उन्हें बेहतर परिणाम देने वाले शिक्षक पढ़ाएंगे। चुनौती 2018 के पीछे की सोच यह है कि 2016-2017 में नौवीं कक्षा में दाखिला लेने वाले छात्रों को 2018 में होने वाली दसवीं कक्षा की परीक्षाओं के लिए प्रशिक्षण और मार्गदर्शन दिया जा सके, जिससे वे परीक्षाओं में सफल हो सकें। मनीष सिसोदिया ने कहा कि विश्व भर में कराए गए रिसर्च में सामने आया है कि टीचिंग एट द राइट लेवल ही छात्रों के बीच सीखने के अंतर की भरपाई का सबसे प्रभावशाली तरीका है। दिल्ली के सरकारी स्कूलों में मेंटर टीचर्स प्रोग्राम के जरिए पढ़ाया जाएगा।
चुनौती 2018 की खास बातें 

  • सभी छात्रों में पढ़ने, लिखने और गणित इत्यादि की मजबूत समझ विकसित करना।
  • छात्रों में सीखने का स्तर और उनकी कक्षा के शैक्षिक स्तर की मांग के अंतर की भरपाई करना।
  • ड्रापआउट छात्रों को स्कूलों में उनके सामान्य शिक्षक ही पढ़ाएंगे और उन्हें हर सुविधा दी जाएगी जो सामान्य छात्रों को स्कूल में दी जाती है। 
  • पत्रचार स्कीम के जरिए दसवीं कक्षा की परीक्षा में बैठने का विकल्प मिलेगा।
  • दसवीं कक्षा की परीक्षा पास करने वाले छात्रों को उसी सरकारी स्कूल में 11वीं कक्षा में दाखिला दिलाना।                                                      dj

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