** टीचर कर लेते थे फर्जी रजिस्ट्रेशन
** सरकारी के साथ प्राइवेट स्कूलों में भी कम आए आवेदन
चंडीगढ़ : सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में पहली बार बच्चों के नामांकन में कमी आई है। वर्ष 2014-15 15-16 की तुलना करें तो कक्षा 1 से 8वीं तक 5.64 प्रतिशत और 9 से 12 तक 6.28 फीसदी बच्चों ने कम दाखिला लिया है। केवल सरकारी स्कूलों का ही आंकड़ा देखें तो कक्षा 1 से 8वीं तक 16.64 फीसदी और कक्षा 9 से 12 तक 17.9 प्रतिशत बच्चों का नामांकन कम हुआ है। सरकार का दावा है कि यह कमी प्रवेश प्रक्रिया को आधार इनेबल्ड ऑनलाइन करने की वजह से हुआ है, क्योंकि इससे बच्चों का डुप्लीकेशन रुका है। पहले एक ही बच्चे का सरकारी निजी स्कूलों में नाम लिखा होता था।
शिक्षा विभाग के अफसरों की मानें तो अब तक अगर सरकारी स्कूलों में बच्चों का नामांकन कम होता था तो निजी स्कूलों में संख्या बढ़ जाती थी, क्योंकि कुछ बच्चे सरकारी स्कूल छोड़कर प्राइवेट में चले जाते थे। अगर प्राइवेट स्कूलों में नामांकन थोड़ा-बहुत घटता था तो सरकारी स्कूलों में बच्चे बढ़ जाते थे।
टीचर कर लेते थे फर्जी रजिस्ट्रेशनः
शिक्षा विभाग के ही कुछ अधिकारियों का कहना है कि पहले ज्यादातर टीचर ही बच्चों का फर्जी रजिस्ट्रेशन कर लेते थे। इसकी वजह यह थी कि कुछ टीचर अपने घर के नजदीक स्कूलों में ही पोस्टेड होते हैं। चूंकि पोस्ट को बनाए रखने के लिए बच्चों की पर्याप्त संख्या होना जरूरी है, इसलिए वे ट्रांसफर से बचने के लिए प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का रजिस्ट्रेशन अपने यहां भी दिखा लेते थे। फील्ड निरीक्षण के दौरान कई बार ऐसा देखा गया जब किसी क्लास में बच्चों का रजिस्ट्रेशन अगर 30 है तो मौके पर 10-25 बच्चे ही पढ़ते हुए पाए गए। बाकी बच्चों की अनुपस्थिति के बारे में टीचर अक्सर कोई कोई बहाना बना लेते थे। इसी तरह कई बार ऐसा भी होता था कि मिड डे मील की वजह से मां-बाप भी प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को सरकारी स्कूलों में भेज देते थे। db
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