रोहतक : टीजीटी शिक्षकों की 30 मई को होने वाली टीएनए परीक्षा रद्द किए जाने पर टीजीटी टीचरों को राहत मिल गई है। शिक्षकों व संघ के नेताओं का कहना है कि परीक्षा रद्द होना हमारे लिए बड़ी जीत है। सभी ने कहा कि विभाग का यह फरमान सिर्फ शिक्षकों को परेशान करने के लिए था। यह शिक्षा में सुधार लाने का कोई प्रयास नहीं था। सरकार ने पेपरों को छापने में ही लाखों रुपए खर्च कर दिए हंै। अगर यही पैसा और कहीं लगाया जाता तो कितना अच्छा रहता।
जेबीटी परीक्षा का जब पूर्ण बहिष्कार हो गया, तब विभाग ने मजबूरन टीजीटी शिक्षकों की टीएनए परीक्षा को रद्द किया है। गौरतलब है कि निदेशालय से देर शाम को परीक्षा रद्द करने का निर्णय लिया गया है।
विभाग की थी पूरी तैयारी
निदेशालय के आदेश पर विभाग ने 30 मई को परीक्षा के लिए तैयारी पूरी कर ली थी। परीक्षा बोर्ड भिवानी से जिले में 30 मई को होने वाली परीक्षा के प्रश्नपत्र भी आ गए थे। शिक्षकों को उनके कोड के साथ का प्रवेश पत्र भी विद्यालयों में भेज दिया गया था। प्रधानाचार्य, प्राचार्यों व हेड मास्टरों से टीचरों को 30 मई के दिन रिलीव करने का आदेश भी दे दिया था। यही नहीं, सेंटर भी बना दिए गए थे। ब्लाकों में जहां पर जेबीटी शिक्षकों की परीक्षा होनी थी, वहीं पर टीजीटी शिक्षकों की भी परीक्षा होनी थी।
सही निर्णय का स्वागत, गलत बर्दाश्त नहीं
निदेशालय द्वारा परीक्षा रद्द किए जाने पर शिक्षक संघों ने इसका स्वागत किया है। हरियाणा मास्टर वर्ग एसोसिएशन के जिला प्रधान राकेश नरवाल और हरियाणा अध्यापक संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष योगेंद्र राणा ने कहा कि सरकार अगर शिक्षा को बढ़ाने के लिए कोई कदम उठाती है तो उसका स्वागत है। शिक्षकों के खिलाफ कभी भी कोई निर्णय उठाया जाएगा, तो वह कतई बर्दाश्त नहीं है। हरियाणा राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला प्रधान रामराज कादयान ने कहा कि जेबीटी शिक्षकों के परीक्षा बहिष्कार ने सोचने पर मजबूर किया। शासन अगर भविष्य में शिक्षकों के साथ मिलकर कोई योजना बनाए, तो बहुत अच्छा रहेगा। हरियाणा राजकीय अध्यापक कल्याण संघ के प्रदेश प्रधान जितेन्द्र राठी ने कहा कि 30 मई को विरोध की पूरी रणनीति बना ली गई थी। हसला के जिला प्रधान बलजीत सहारण ने कहा कि हमने शिक्षकों का समर्थन करने के लिए पहले ही कह रखा था। db
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