** सीआरपी: 15 दिन पढ़ाई की और बीत गया आधा सेमेस्टर, क्लास से ज्यादा भ्रमण पर ही रहे विद्यार्थी
दो माह का समय बीता, मगर नियमित पढ़ाई दो सप्ताह भी नहीं हुई। वजह रहा शिक्षा विभाग द्वारा शुरू किया गया कक्षा तत्परता कार्यक्रम। सीआरपी कार्यक्रम का असर ये रहा कि इस बार करीब आधा सेमेस्टर बीत चुका है लेकिन सभी स्कूलों में एक तिहाई सिलेबस भी पूरा नहीं हो सका है। इस दौरान शिक्षा विभाग के विभिन्न प्रयोगों के कारण जहां पढ़ाई पूरी तरह प्रभावित रही है, वहीं ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद भी करीब 16 दिन अवकाश के ही रहेंगे। इस कारण सिलेबस पूरा करा पाना शिक्षकों के लिए भी बड़ी चुनौती होगा। वहीं गत दो वर्षों में भी विभाग सीआरपी कार्यक्रम को व्यवस्थित नहीं कर पाया है।
प्रयोगशाला बना दिया विभाग को: उपप्रधान
हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के राज्य उप प्रधान महावीर सिंह का कहना है कि अधिकारियों ने विभाग को प्रयोगशाला बनाकर रख दिया है। कभी बच्चों का मूल्यांकन, कभी शिक्षकों के मूल्यांकन का फरमान तो कभी सीआरपी कार्यक्रम कराए जा रहे हैं। इनसे पढ़ाई का समय लगातार घट रहा है। सेमेस्टर सिस्टम में किसी भी तरह सीआरपी कार्यक्रम एडजस्ट नहीं हो सकते।
छुट्टियों के बाद भी 16 छुट्टियां
एक दिन बाद यानि 1 जून से स्कूलों में गर्मियों की छुट्टियां हो जाएंगी। इसके बाद 2 जुलाई को ही स्कूल खोले जा सकेंगे। वहीं, सितंबर से बोर्ड की परीक्षाएं शुरू हो जाएंगी। यानि पढ़ाई के लिए जुलाई और अगस्त के दो महीने होंगे। इन दो महीने में 9 रविवार व तीज, ईद-उल-फित्तर व 15 अगस्त सहित कुल 16 छुट्टियां हैं। इस लिहाज से करीब डेढ़ माह में ही सिलेबस पूरा कर विद्यार्थियों को परीक्षा की तैयारी करनी होगी।
यूं बीत गया दो महीने का समय
24 मार्च को स्कूलों में परिणाम सुनाकर दाखिले शुरू किए। कई स्कूलों में कक्षाएं भी शुरू कर दी गई। लेकिन अधिकतर स्कूलों में दाखिले चलने के कारण 1 अप्रैल से ही नियमित कक्षाएं शुरू हो पाई। इसके बाद भी बहुत से स्कूलों के विद्यार्थी और शिक्षक ही स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ाने के लिए रैलियां निकालते रहे। 10 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के कारण शिक्षक तीन बार चुनावी ड्यूटी पर रहे। 16 अप्रैल से कक्षा तत्परता कार्यक्रम शुरू हो गया। इसमें विद्यार्थी कभी भ्रमण पर रहे तो कभी खिलौने व पेंटिंग सहित अन्य गतिविधियों में व्यस्त रहे। कभी कक्षाएं लगी तो विद्यार्थियों के पास सीआरपी की तैयारी के कारण होमवर्क तक करने का समय नहीं होता था। जिन गतिविधियों के कारण विद्यार्थी अपनी पढ़ाई में समय नहीं बिता पा रहे उससे सरकारी शिक्षा व्यवस्था को कितना बेहतर बनाया जा सकता है ये तो समय ही बताएगा, लेकिन फिलहाल अन्य स्कूलों की तुलना में सरकारी स्कूलों के विद्यार्थी और पिछड़ते नजर आ रहे हैं।
15 दिन भी ठीक से नहीं लगी कक्षाएं
विभाग की नजर में स्कूलों में कक्षाएं शुरू हुए 2 माह से भी अधिक से समय बीत चुका है। लेकिन कक्षाओं में पढ़ाई की हकीकत इससे कहीं उलट है। 24 मार्च को विद्यार्थियों के परिणामों की घोषणा के साथ ही कक्षाएं शुरू करने के आदेश दिए। मगर दाखिले के चलते सभी स्कूलों में 1 अप्रैल से ही नियमित कक्षाएं शुरू हो पाई थी। इसके बाद 10 अप्रैल के चुनाव को लेकर शिक्षकों की ड्यूटियां लगने आदि से कक्षाएं बाधित रही तो कभी रविवार के कारण स्कूल बंद रहे। 16 अप्रैल से स्कूलों में कक्षा तत्परता कार्यक्रम शुरू कर दिया गया। जो कि 24मई तक चला। इस दौरान स्कूलों में नियमित कक्षाएं नहीं लगी। क्योंकि सीआरपी के तहत विद्यार्थियों को विभिन्न गतिविधियां कराई जाना भी अनिवार्य था। वहीं 24 मई को रविवार के बाद 26 मई से अब तक नियमित कक्षाएं लग पाई। यानि कक्षा तत्परता कार्यक्रम से पहले और बाद में बमुश्किल 15 दिन भी विद्यार्थियों की रेगुलर कक्षाएं नहीं लग पाई।
"सीआरपी कार्यक्रम पढ़ाई के साथ ही कराने के निर्देश थे, ताकि विद्यार्थियों केा व्यवहारिक ज्ञान भी दिया जा सके। सीआरपी के साथ ही कक्षाएं भी हररोज लगाई जानी थी। स्कूलों में सिलेबस भी काफी कवर किया है, बाकी छुट्टियों के बाद बेहतर तरीके से व तेजी से पढ़ाई कराने के निर्देश दिए जाएंगे। वैसे विभाग के निर्देशानुसार ही गतिविधियां कराई जा रही हैं।''--रामकुंवार फलसवाल, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी। dbrwd
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