पदोन्नति के लिए पंचकूला में काउंसलिंग का दौर चल रहा है। शिक्षा निदेशालय की सूची में शामिल ज्यादातर अधिकारी नजदीकी स्टेशन (घर के पास) लेने की फिराक में हैं। मनचाहा स्टेशन न मिलने पर पदोन्नति से इन्कार कर उसी पद पर कार्य करने की इच्छा जताने में शिकन नहीं महसूस करते। वित्तीय नुकसान की उन्हें कोई चिंता नहीं है। नौकरी तो घर में ही करनी है।
शिक्षा विभाग में 119 ब्लॉकों में तैनात बीईईओ के पदों पर कार्यरत वरिष्ठ अधिकारियों को पदोन्नति दी जानी है। शिक्षा सदन पंचकूला में पदोन्नति की प्रक्रिया शुरू है। निदेशालय की पदोन्नति सूची में जिन अधिकारियों का नाम शामिल है उन्हें बीते बृहस्पतिवार को काउंसलिंग के लिए शिक्षा सदन पंचकूला बुलाया गया। आला अधिकारियों की टीम ने बारी-बारी से काउंसलिंग की। काउंसलिंग की प्रक्रिया में जिनका नंबर पहले आया उन्होंने मनचाहे नजदीकी स्टेशन का च्वाइस बता दिया।
खंड स्तर पर तैनात अधिकांश बीईईओ ने घर से नजदीक पोस्टिंग कराने की इच्छा जाहिर की। काउंसलिंग के दौरान जिन्हें यह मालूम चला कि नजदीक का कोई स्टेशन रिक्त नहीं है तो वे पदोन्नति लेने से इन्कार कर गए। निवर्तमान पद पर बने रहने के फैसले से अधिकारियों को अवगत करा दिया।
पदोन्नति में तीन बीईईओ के केस
बीईओ पद पर पदोन्नति पाने के लिए पानीपत जिले से तीन खंड मौलिक शिक्षा अधिकारियों को काउंसलिंग के लिए बुलाया गया। पानीपत ब्लॉक के बीईईओ रमेश कुमार ने बापौली स्टेशन का च्वाइस दिया। निदेशालय के आला अधिकारियों की मानें तो बापौली व समालखा ब्लॉक में बीईईओ के पद पर तैनात दोनों अधिकारी मनचाहा स्टेशन न मिलने पर ‘फोर गो’ का विकल्प चुना। दूर के स्टेशनों पर पोस्टिंग मिलने पर उन्हें जेब ज्यादा ढीली करनी पड़ेगी।
आठ वर्ष में एक एसीपी
शिक्षा महकमे के अधिकारियों के मुताबिक पहला एसीपी आठ वर्ष, दूसरा 16 वर्ष में तथा तीसरा 24 वर्ष की सेवा पूरी करने के बाद मिलता है। बीईईओ के पद पर तैनात ज्यादातर अधिकारी प्रधानाचार्य रहते हुए पहला एसीपी ले चुके हैं। दूसरे एसीपी से पहले पदोन्नति सूची में शामिल अधिकांश बीईईओ सेवानिवृत्त हो जाएंगे। फोर गो करने का मकसद पदोन्नति के फेर में दूर के स्टेशनों पर सर्विस करने से बचना है।
प्रक्रिया : एसीपी विद ड्रॉ नहीं किए जाते
शिक्षा विभाग में जिस एसीपी में अधिकारी कार्य कर रहे, पदोन्नति के दौरान मनचाहा स्टेशन न मिलने पर फोर गो का फंडा अपना लेते हैं। नियम 14 के तहत उनके वित्तीय लाभ विद ड्रा किए जाने चाहिए, लेकिन नियमों पर सख्ती से अमल न होने से उनके एसीपी विद ड्रा नहीं किए जाते। एक वर्ष में उस पद पर रहते हुए उस अधिकारी का नाम प्रमोशन के लिए सूची में दोबारा शामिल नहीं करने का प्रावधान है। dbpnpt
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