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Wednesday, 28 May 2014

बीएड, एमएड के कोर्स दो-दो वर्ष के होंगे

** एनसीटीई ने कोर्स की अवधि बढ़ाने का खाका किया तैयार
** पूरे देश में लागू होगी यह व्यवस्था, एनसीईटी ने लोगों से मांगे सुझाव
** रिपोर्ट लागू होने के बाद शिक्षक बनने की पढ़ाई कर रहे विद्यार्थियों को होगा फायदा
** प्रो. पूनम बतरा की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने सौंपी अपनी रिपोर्ट
शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने के मकसद से एनसीटीई (नेशनल काउंसिल ऑफ टीचर एजुकेशन) ने अब बीएड व एमएड के कोर्स दो वर्ष के करने का कार्यक्रम तैयार किया है। कोर्स की अवधि एक वर्ष से दो वर्ष करने पर जो बदलाव संस्थानों में किए जाएंगे, उसका भी खाका तैयार कर लिया गया है। यह कार्यक्रम पूरे देशभर में लागू किया जाएगा। 
शिक्षकों के होने वाले कोर्स में कुछ तकनीकी बदलाव भी किए गए हैं ताकि संस्थानों से निकलने वाले विद्यार्थी स्कूलों में जाने के बाद बेहतर कार्य कर सकें। एनसीटीई द्वारा देश भर में शिक्षकों की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए प्रो. पूनम बतरा की कमेटी की रिपोर्ट को लागू करने जा रही है। इसी शिक्षा सत्र से शिक्षकों के कोर्स में कुछ बदलाव होने जा रहे हैं, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण यह है कि बीएड व एमएड का कोर्स दो-दो वर्ष का होने जा रहा है। एनसीटीई ने अपनी वेबसाइट के माध्यम से इस मामले में लोगाें से सुझाव भी मांगे हैं, जिसकी अंतिम तारीख आगामी दो जून निर्धारित की गई है। इस बदलाव के बाद बीएड के विद्यार्थियों को 16 सप्ताह तक स्कूलों में अध्यापन कार्य का प्रशिक्षण लेने का मौका मिलेगा। इसके अलावा डिप्लोमा इन एलीमेंटरी एजुकेशन की अवधि भी दो साल की होने जा रही है। बीईएलएड का कोर्स चार वर्ष का हो जाएगा, जो इस बार नया होगा। यह कोर्स बारहवीं कक्षा के बाद किया जा सकेगा। जेसीडी कॉलेज ऑफ एजुकेशन के प्राचार्य डॉ. जयप्रकाश ने बताया कि एनसीटीई द्वारा निर्धारित की गई शर्तों के अनुसार अब हर कॉलेज में 20 प्रतिशत मैथ, 20 प्रतिशत साइंस, 20 प्रतिशत सामाजिक विज्ञान, 20 प्रतिशत अंग्रेजी भाषा व 20 प्रतिशत प्रथम भाषा की सीटों पर दाखिला किया जा सकेगा। इससे पूर्व कॉलेज में विषय अनुसार सीटों पर दाखिला नहीं होता था। 
उन्होंने बताया कि नई नीति के अनुसार बीएड में 15 विद्यार्थियों पर तथा एमएड में सात विद्यार्थियों पर एक शिक्षक की व्यवस्था करनी अनिवार्य होगी। जो शिक्षक पांच वर्षों से कॉलेज में पढ़ा रहा है, हर पांच वर्ष के रोटेशन के आधार पर उसे प्राचार्य का पद भी संस्थान को देना होगा। इसके अलावा एक शारीरिक शिक्षक, फाइन आर्ट शिक्षक, एक फिलोसपी का शिक्षक, एक मनोविज्ञान का शिक्षक, एक लाइब्रेरियन, एक मैनेजर, एक ऑफिस असिस्टेंट, एक टेक्निकल असिस्टेंट, एक स्टोर कीपर व दो अटेंडेंट के पद पर स्टाफ भी रखना अनिवार्य होगा। इसी प्रकार एजुकेशन संस्थानों में प्रोग्राम एडवाइजरी कमेटी व मैनेजिंग कमेटी का गठन करना भी लाजिमी होगा। 
यह है प्रो. पूनम आयोग की रिपोर्ट में 
दरअसल सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर एनसीटीई ने दिल्ली विश्वविद्यालय के एजुकेशन विभाग की प्रो. पूनम बतरा की अध्यक्षता में शिक्षकों के कोर्स में सुधार को लेकर 24 मई 2013 को एक कमेटी गठित की थी। इस कमेटी ने पूरे अध्ययन के बाद शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार को लेकर कुछ फेरबदल की सिफारिश की है, जिसकी 105 पेज की रिपोर्ट गत 16 मई को एनसीटीई को सौंप दी गई थी। इससे पूर्व भी वर्मा आयोग की रिपोर्ट 2012 में भी लागू करने की सिफारिश की गई थी लेकिन मामला कोर्ट में जाने के बाद अटक गया था। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने रिपोर्ट को लागू करने के निर्देश दिए थे। इस रिपोर्ट को लागू करने के लिए एनसीटीई ने रिपोर्ट लागू करने के लिए ड्राफ्टिंग बनाने के लिए केे लिए प्रो. पूनम बतरा पर आधारित एक कमेटी बनाई, जिसने अपनी रिपोर्ट पेश कर दी है। अब एनसीटीई ने लोगों व संस्थानों से रिपोर्ट को लागू करने के लिए सुझाव मांगे गए हैं। इस रिपोर्ट को इसी शिक्षा सत्र से लागू किया जा रहा है। इस रिपोर्ट में काफी ऐसे पहलू हैं, जो शिक्षा के सुधार में कारगर साबित होंगे।                       ausrs


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