स्टेट काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड टेनिंग (एससीईआरटी) निदेशिका के पत्र से शिक्षक संगठनों में खलबली मच गई है। निदेशिका ने ट्रेनिंग नीड असेसमेंट सर्वेक्षण का बहिष्कार करने वाले शिक्षकों को शिक्षा में गुणवत्ता सुधार विरोधी बताया है। यह भी लिखा कि इन शिक्षकों एवं शिक्षक संगठनों की नकारात्मक सोच है। इसकी वजह उनका वह अनजाना भय है, जिसमें शिक्षक गलतियां उजागर होने से डरते हैं। निदेशिका की इस टिप्पणी से शिक्षक संगठनों में नई बहस छिड़ गई है। शिक्षकों ने इस बात का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए रणनीति बनानी शुरू कर दी है।
हाल ही में एससीईआरटी निदेशिका स्नेहलता ने शिक्षा विभाग की वेबसाइट पर यह पत्र अपलोड किया है। इसमें उन्होंने स्पष्ट लिखा है कि उन शिक्षकों के जज्बे को सलाम करते हैं, जिन्होंने शिक्षा में गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम में भाग लेते हुए टीएनए सर्वेक्षण की परीक्षा दी। इस दौरान जिन शिक्षकों एवं शिक्षक संगठनों ने इस सर्वेक्षण का बहिष्कार करते हुए शिक्षा में गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम में सहयोग नहीं दिया, यह उनकी नकारात्मक सोच का नतीजा है। इससे जाहिर है कि वे शिक्षा के उत्थान के प्रति गंभीर नहीं है। एससीईआरटी निदेशिका स्नेहलता ने दावा करते हुए कहा कि हर्ष का विषय है कि 90 प्रतिशत शिक्षकों ने टीएनए परीक्षा दी।
हमसे पहले खुद परीक्षा दें : बास
प्राथमिक शिक्षक संघ के नेता सुनील बास का कहना है कि निदेशिका के बयान शिक्षकों का अपमान है। शिक्षकों ने अपने मान-सम्मान के लिए परीक्षा का बहिष्कार किया है। उनकी परीक्षा से पूर्व अधिकारी अपनी परीक्षा दें। तब पता चला किसकी सोच नकारात्मक है और किस की नहीं। djhsr
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