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Saturday, 18 June 2016

अब योग में एमएससी-पीएचडी

** डिप्लोमा से लेकर पीएचडी तक के कोर्स शुरू करने का प्रस्ताव
** अध्यापकों की नियुक्ति के लिए राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (एनईटी) में इसे शामिल करने की योजना
नई दिल्ली : केंद्र सरकार योग की औपचारिक शिक्षा को लेकर व्यापक स्तर पर तैयारी में जुट गई है। इसके लिए उच्च शिक्षण संस्थानों में बड़े स्तर पर स्नातक, स्नातकोत्तर और पीएचडी के पाठ्यक्रम शुरू किए जाएंगे। केंद्रीय विश्वविद्यालयों में ये पाठ्यक्रम शुरू करने के साथ ही इनके अध्यापकों की नियुक्ति के लिए राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (एनईटी) में इसे शामिल करने की योजना है।
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रलय की पहल पर एक विशेषज्ञ समिति ने इस संबंध में सिफारिश की है। प्रधानमंत्री के योग गुरु और बेंगलुरु के एस व्यास विश्वविद्यालय के कुलपति एचआर नागेंद्र की अध्यक्षता में गठित समिति ने उच्च शिक्षण संस्थानों में योग को विज्ञान के तौर पर पढ़ाए जाने की सिफारिश की है। इसने योग में बीएससी और एमएससी के अलावा सर्टिफिकेट कोर्स, पीजी डिप्लोमा और पीएचडी तक के पाठ्यक्रम शुरू करने को कहा है।
डॉक्टरों के लिए भी कोर्स : एमबीबीएस कर चुके डॉक्टरों के लिए विभिन्न बीमारियों के इलाज में योग के उपयोग के लिए अलग से पाठ्यक्रम शुरू किया जाएगा। इसका नाम पीजी डिप्लोमा (थेरेपी) रखने का प्रस्ताव किया गया है। इसी तरह स्नातक के बाद छात्रों के लिए चार साल के एकीकृत पीएचडी पाठ्यक्रम का भी विकल्प रखा जा सकता है। इन प्रस्तावों को सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपति बैठक कर अंतिम रूप देंगे। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रलय की कोशिश है कि कुछ विश्वविद्यालयों में इन पाठ्यक्रमों को इस वर्ष शुरू हो रहे शैक्षणिक सत्र से ही शुरू किया जाए। पहले चरण में लागू किए जाने के लिए विश्व भारती विश्वविद्यालय, हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय, राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय, गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय, केरल केंद्रीय विश्वविद्यालय और मणिपुर विश्वविद्यालय की पहचान की गई है। इसी तरह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा में भी योग विषय को शामिल करने की तैयारी शुरू कर दी है ताकि इन पाठ्यक्रमों के अध्यापकों की नियुक्ति आसान हो सके। 
एचआर नागेंद्र की अध्यक्षता में समिति का गठन खास तौर पर विश्वविद्यालयों में योग को शामिल करने को लेकर किया गया था। इसने आधुनिक जरूरतों को ध्यान में रखते हुए न सिर्फ इन पाठ्यक्रमों और पाठ्यसामग्रियों का प्रस्ताव किया है, बल्कि इस संबंध में आने वाली जरूरतों के बारे में भी बताया है।                                                        dj

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