नई दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय में हर साल ऊंची होती कटऑफ से कई नामी
कॉलेजों के प्रिंसिपल भी मुक्ति चाहते हैं। देश के विभिन्न बोर्डो द्वारा
दिए जा रहे अधिक अंकों के कारण डीयू की कटऑफ चढ़ती जा रही है, जिस वजह से
तीन साल से लगातार कई कॉलेज पहली कटऑफ 100 फीसद रख रहे हैं।
12वीं के
अंकों के आधार पर जो कटऑफ बनती है, उसमें यदि 0.5 फीसद की भी कमी की जाए तो
दाखिला लेने वाले छात्रों की संख्या काफी अधिक हो जाती है। इस वजह से
कॉलेज भी कटऑफ को लेकर असमंजस में रहते हैं। क्षमता से अधिक दाखिले होने पर
छात्रों को भी पढ़ाई में दिक्कत होती है। किरोड़ीमल कॉलेज के प्रिंसिपल
डॉ. दिनेश खट्टर का कहना है कि जिस तरह से बोर्ड अंकों को बढ़ाते जा रहे
हैं, उससे लगता है कि दाखिले का आधार कटऑफ न होकर प्रवेश परीक्षा हो। इससे
सभी बोर्ड के छात्र समान परीक्षा देंगे और उसमें अर्जित अंकों के आधार पर
दाखिला मिलेगा। एक अन्य कॉलेज के प्रिंसिपल का कहना है कि दाखिले को लेकर
एकरूपता बनाई जाए। जिस तरह इस बार डीयू में परास्नातक में दाखिले के लिए
दिल्ली से बाहर भी प्रवेश परीक्षा आयोजित की गई है, उसी तरह का प्रावधान
स्नातक स्तर पर किया जा सकता है। प्रवेश परीक्षा बेहतर विकल्प हो सकता है,
लेकिन विश्वविद्यालय को इसके लिए अपने स्तर पर प्रयास करना होगा। यह भी
देखा गया है कि कई छात्र 90 फीसद से अधिक अंक लेकर दाखिला लेते हैं, वह
शिक्षकों की आशा पर खरे नहीं उतरते हैं। यदि प्रवेश परीक्षा के आधार पर
दाखिला हो इसमें सुधार आएगा। हालांकि इससे अलग हंसराज कॉलेज की प्रिंसिपल
डॉ. रमा शर्मा का कहना है कि कटऑफ के स्थान पर प्रवेश परीक्षा का विकल्प
बहुत कारगर नहीं है क्योंकि उसमें भी तो हमें समान अंक वाले छात्रों को
लेना पड़ेगा। 12वीं के बोर्ड काफी अंक दे रहे हैं, जिसमें कुछ सुधार की
जरूरत है। dj
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