चंडीगढ़ : प्रदेश के कर्मचारियों की हड़ताल के बीच राज्य सरकार ने पूर्व
मुख्य सचिव जी माधवन के नेतृत्व वाले वेतन विसंगति आयोग की अधिकतर
सिफारिशें स्वीकार कर ली हैं। सरकार के इस फैसले से 60 हजार कर्मचारियों को
करीब 76 करोड़ रुपये वार्षिक का लाभ मिलेगा। इन सिफारिशों को मानने के बाद
सरकार ने दावा किया है कि कर्मचारियों की वेतन विसंगतियां दूर की जा चुकी
हैं। पिछली हुड्डा सरकार के समय गठित वेतन विसंगति आयोग को मनोहर सरकार के
कार्यकाल में एक्सटेंशन मिली थी। जी माधवन ने 10 मार्च 2016 को अपनी
रिपोर्ट सरकार को सौंप दी थी। सरकार ने उन पदों को सुनिश्चित आजीविका
प्रगति (एसीपी) ग्रेड पे प्रदान करने पर वृद्घि लाभ की सिफारिशों को
स्वीकार कर लिया है, जिनका वेतनमान/ग्रेड पे व्यक्तिगत आदेशों या सांझा
आदेशों के द्वारा 1 जनवरी, 2006 के बाद बढ़ाया गया था। इससे 55 हजार
कर्मचारी लाभान्वित होंगे। नई नियुक्ति के प्रवेश वेतन और उसी पद पर
पदोन्नत कर्मचारी के वेतन की विसंगति को भी दूर कर दिया गया है।
असली हितैषी हमारी प्रदेश सरकार : कैप्टन अभिमन्यु
वित्त मंत्री
कैप्टन अभिमन्यु ने कहा कि भाजपा सरकार कर्मचारी हितैषी है। पूर्व कांग्रेस
सरकार ने कभी भी कर्मचारियों की मांगों पर ध्यान नहीं दिया। मात्र वोट
प्राप्त करने के लिए विधानसभा चुनावों से पूर्व वेतन विसंगति आयोग गठित कर
दिया था। भाजपा सरकार ने ही कर्मचारियों के हित में इस आयोग के कार्य को
तेज किया। अब सभी सिफारिशें मानी जा चुकी हैं।
पंजाब के समान वेतनमान पर
चुप्पी क्यों : सुभाष लांबा
सर्व कर्मचारी संघ के महासचिव सुभाष लांबा ने
बताया कि पंजाब के समान वेतनमान देने के मुद्दे पर सरकार चुप है। चतुर्थ
कर्मियों का ग्रेड पे 1300 से 1800 और पे बैंड द्वितीय का 3200 से 4200
किया जाना चाहिए। एक जनवरी 2006 से यह लागू किया जाए। दज
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