** मासिक टेस्ट के प्रश्नों के गलत जवाब को भी कर दिया सही दोबारा मुल्यांकन के आदेश
कुरुक्षेत्र : विद्यालय शिक्षा निदेशालय ने पत्र जारी कर राजकीय
विद्यालयों के अध्यापकों की योग्यता पर ही सवाल खड़ा कर दिया है। नौवीं से
बारहवीं के मासिक टेस्ट में छात्रों द्वारा प्रश्नों के दिए गलत जवाब को
उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन के समय सही दिखाया गया है। इससे साफ जाहिर
हो रहा है कि राजकीय विद्यालयों के कुछ
अध्यापक अपना बेहतर शैक्षणिक प्रदर्शन दिखाने के चक्कर में छात्रों के
भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
इस पर निदेशालय ने सख्त रवैया अपनाते
हुए उत्तर पुस्तिकाओं का दोबारा से मूल्यांकन करने के आदेश जारी किए हैं।
साथ ही हिदायत दी है कि दोबारा गड़बड़ी पाई की गई तो स्कूल के मुखिया के
खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। शिक्षा निदेशालय ने प्रदेश के सभी जिला शिक्षा
अधिकारियों को दो अक्टूबर को जारी अपने पत्र संख्या 2/2-2016-17 एईडी (1)
में कहा है कि उच्च अधिकारियों द्वारा शैक्षणिक निरीक्षण में पाया गया कि
नौवीं से बारहवीं कक्षा तक मासिक व अर्धवार्षिक परीक्षाओं के मूल्यांकन
करते समय कुछ विषय अध्यापकों व कक्षा अध्यापकों द्वारा लापरवाही करते हुए
कुछ प्रश्नों के गलत जवाब को भी सही मानकर अंक दिए गए हैं। इन मासिक टेस्ट
का आयोजन सतत एवं समग्र मूल्यांकन (सीसीई) के समुचित अनुपालन के लिए किया
जा रहा है।
यह निर्णय लिया गया है कि प्रत्येक प्रश्न का मूल्यांकन समुचित
किया जाए और प्रत्येक गलती को अंकित किया जाए तथा मूल्यांकन उपरांत इन
उत्तर पुस्तिकाओं के वितरण के दौरान विद्यार्थियों को इन त्रुटियों से अवगत
करवाते हुए उन्हें प्रश्न पूछने एवं भ्रांति निवारण के लिए प्रोत्साहित
किया जाए। इसके अतिरिक्त विद्यालय के मुखिया प्रत्येक विषय के मासिक
परीक्षाओं की उत्तर पुस्तिकाओं को बिना क्रम के करेंगे तथा उन पर हस्ताक्षर
भी करेंगे, ताकि मूल्यांकन की वैधता सुनिश्चित की जा सके। इस संदर्भ में
कोई कोताही न बरती जाए। इस मूल्यांकन प्रक्रिया की वैधता की जिम्मेदारी
पूरी तरह से स्कूल के मुखिया पर होगी। पत्र में यह भी बताया गया है कि
मूल्यांकन उपरांत प्रत्येक विषय विशेषज्ञ मासिक-अर्धवार्षिक परीक्षाओं का
परिणाम विभाग की साइट एमटीएमएस पर अपलोड करते हैं। इस प्रक्रिया को भी
विभाग के निर्देशानुसार परीक्षाओं के आयोजन के उपरांत एक सप्ताह में किया
जाना निश्चित हुआ है। निदेशालय के इस पत्र से जाहिर हो गया है कि अध्यापकों
को राजकीय विद्यालयों के वास्तविक परिणाम से नहीं बल्कि सिर्फ अपना
प्रदर्शन बेहतर दिखाने से मतलब है चाहे इसके लिए उन्हें विद्यार्थियों के
भविष्य से खिलवाड़ ही क्यों ने करना पड़े।
सभी स्कूल
मुखिया को भेज दिया पत्र : डीईओ
जिला शिक्षा अधिकारी सुमन आर्य ने विद्यालय
शिक्षा निदेशालय के पत्र की पुष्टि करते हुआ कहा कि उन्होंने इस संबंध में
सभी स्कूल मुखियाओं को तीन अक्टूबर को पत्र जारी कर अवगत करा दिया है तथा
पत्रनुसार दोबारा उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन करने को कहा है।
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