.

.

Breaking News

News Update:

How To Create a Website

Friday, 18 November 2016

वेतन में सुधार करो नहीं तो आंदोलन : हसला

हिसार : 7वें वेतन आयोग से पूरा प्राध्यापक वर्ग अपने आपको ठगा-सा महसूस कर रहा है। अब प्राध्यापक वर्ग में सरकार के प्रति गहरा रोष है। यह बात हरियाणा स्कूल लैक्चरर एसोसिएशन (हसला) के प्रधान भगवान दत्त ने कही। उन्होंने कहा कि एक प्राथमिक अध्यापक का मूल वेतन 35400 रुपये तो मास्टर कैटेगरी का 44900 रुपये निर्धारित किया गया है। वहीं, स्कूल प्राध्यापक का 47600 रुपए तो कॉलेज प्राध्यापक का 67700 रुपये मूल वेतन निर्धारित किया गया है। दत्त ने कहा कि प्राथमिक अध्यापक और मास्टर कैटेगरी के मूल वेतन में 9500 रुपये का अंतर, मास्टर और प्राध्यापक में केवल 2700 रुपये का अंतर तथा स्कूल प्राध्यापक और कॉलेज प्राध्यापक में 20100 रुपये का मूल वेतन अंतर है। उन्होंने इस वेतन से असंतुष्टि जाहिर करते हुए कहा कि एक समय ऐसा भी था जब स्कूल प्राध्यापक का वेतन कॉलेज प्राध्यापक के समकक्ष व उससे अधिक भी रहा है। केवल और केवल पूरे शिक्षा जगत में स्कूल प्राध्यापक के साथ घोर अन्याय हुआ है। उन्होंने कहा कि हसला संगठन सरकार से मांग करता है कि स्कूल प्राध्यापक का मूल वेतन तर्कसंगत ढंग से कम से कम 56100 रुपये दिया जाना चाहिए, जिससे सभी शिक्षक कैटेगरी के वेतन स्टैप (स्तर) के अंतर में सही अनुपात बना रहेगा। हसला प्रधान ने मांग की कि पिछली वेतन विसंगतियों को 2006 से दूर किया जाए व स्कूल प्राध्यापक वर्ग को न्याय दिलाया जाए जो कि किसी भी जनकल्याणकारी सरकार का लक्ष्य होता है।
एक महीने में दूर करें वेतन विसंगति: 
भगवान दत्त ने आरोप लगाया कि वर्तमान सरकार भी पिछली सरकार की प्राध्यापक विरोधी नीतियों का ही अनुसरण कर रही है। संगठन सरकार को वेतन विसंगति दूर करने के लिए एक महीने का समय देता है वरना संगठन क्रमिक, भूख हड़ताल करके अपना रोष व्यक्त करेगा। उन्होंने बताया कि एक प्राथमिक अध्यापक को मास्टर के समक्ष वेतन में 9 साल लगते हैं और एक स्कूल प्राध्यापक को कॉलेज प्राध्यापक के समकक्ष वेतन में 10 साल लगते हैं जबकि एक मास्टर को स्कूल प्राध्यापक के समकक्ष वेतन में केवल दो साल लगते हैं। उन्होंने दोहराया कि स्कूल प्राध्यापकों के साथ वास्तव में घोर अन्याय हुआ है।

No comments:

Post a Comment

Note: only a member of this blog may post a comment.