** सभी विश्वविद्यालयों से ऐसे प्रकरणों को चार हफ्ते में निपटाने के निर्देश
नई दिल्ली : अपनी ही डिग्रियों के सत्यापन में विश्वविद्यालयों की देरी पर
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने नाराजगी जताई है। साथ ही इसे लेकर
देश भर के सभी विश्वविद्यालयों को निर्देश भी किया है कि वह हर हाल में
डिग्रियों के सत्यापन से जुड़े प्रत्येक मामलों को चार हफ्ते के भीतर
निपटाएं। यूजीसी ने विश्वविद्यालयों को इस दौरान सुप्रीम कोर्ट के पिछले
आदेश की भी याद दिलाई है, जिसमें सभी विश्वविद्यालयों से डिग्रियों का
सत्यापन एक तय समय-सीमा में करने के लिए व्यवस्था बनाने को कहा था।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को
लिखे पत्र में यह निर्देश उस समय दिया है, जब हाल ही में बार काउंसिल ऑफ
इंडिया सहित कई राज्यों की बार काउंसिलों ने यूजीसी से कानून सहित
विश्वविद्यालय की ओर से जारी दूसरी डिग्रियों के सत्यापन में बरती जा रही
देरी का आरोप लगाया था। साथ ही बताया था कि इससे उन्हें रजिस्ट्रेशन में
दिक्कत पेश आ रही है। यूजीसी से जुड़े सूत्रों की मानें तो इसके बाद यूजीसी
ने सख्त तेवर दिखाते हुए विवि के इस रवैये पर कड़ी आपत्ति जताई है। इसके
अलावा यूजीसी ने विश्वविद्यालयों से सत्यापन के लिए किसी भी तरह की फीस न
वसूलने के भी निर्देश दिए हैं। कहा है कि जिन विश्वविद्यालयों ने अपने यहां
अभी तक सत्यापन का कोई फामरूला नहीं तैयार किया है, वह जल्द ही ऐसा सिस्टम
तैयार करें, जिसमें किसी भी डिग्री के सत्यापन का आवेदन मिलने के चार
हफ्ते के भीतर उसके सत्यापन की कार्रवाई पूरी कर दी जाए। यूजीसी और सुप्रीम
कोर्ट ने विश्वविद्यालयों से वेरीफिकेशन की यह व्यवस्था शुरू करने के
निर्देश तब दिए हैं, जब देश भर में फर्जी डिग्रियों के मामले बढ़े हैं। ऐसे
विवि के पास इसके सत्यापन के भी मामले बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं। यह
मामले सरकारी व निजी क्षेत्र की एजेंसियों दोनों से ही विश्वविद्यालयों के
पास पहुंच रहे हैं।
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