चंडीगढ़ : स्कूल
में बच्चों पर न बस्तों का बोझ। न होम वर्क चिंता। यानी मस्ती की पाठशाला।
हरियाणा के 22 जिलों के 110 स्कूलों में ऐसी ही पाठशाला लगने जा रही है।
शिक्षा विभाग की पहली कक्षा में पढ़ने वाले बच्चों को बस्तों के बोझ से
मुक्ति दिलाने की योजना है। इनमें पहली कक्षा के बच्चे न तो बस्ता लेकर
आयेंगे और न ही उन्हें होमवर्क दिया जाएगा। पायलट आधार पर शुरू की जा रही
इस योजना के सफल होने के बाद इसे प्रदेशभर के सभी प्राइमरी स्कूलों में
लागू किया जाएगा।
शुक्रवार को यहां मुख्य सचिव डीएस ढेसी की अध्यक्षता में हुई सर्व शिक्षा
अभियान की 44वीं कार्यकारी समिति की बैठक में यह निर्णय लिया गया। बैठक में
राज्य के सभी 119 खंडों में एक-एक साइंस पार्क स्थापित करने का भी निर्णय
लिया है, जिससे बच्चे खेल-खेल में साइंस को समझ सकें। बैठक में ढेसी ने सभी
जिलों के अतिरिक्त उपायुक्तों को निर्देश दिए कि जिलों के लिए बनाए जा रहे
विजन डाक्यूमेंट-2022 में शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण विषय को जरूर शामिल
करें। उन्होने कहा कि एडीसी अपने-अपने जिलों में ऐसे क्षेत्रों की पहचान
करें, जहां अभी तक शिक्षा का स्तर अच्छे मुकाम तक नहीं पहुंचा है। उन्होंने
अधिकारियों को अगले शैक्षणिक सत्र के लिए तैयार होने वाली पाठ्य पुस्तकों
पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए। सर्व शिक्षा अभियान के तहत वर्ष
2017-18 के लिए 1144 करोड़ की वार्षिक कार्ययोजना एवं बजट का प्रावधान किया
गया है। इसमें लगभग 1031 करोड़ रुपये केंद्र सरकार और लगभग 68 करोड़ 76
लाख रुपये राज्य सरकार द्वारा जारी किए गए हैं।
दिव्यांग बच्चों पर विशेष ध्यान
सर्व शिक्षा अभियान के तहत दिव्यांग बच्चों की आवश्यकताओं को पूरा करने पर
विशेष ध्यान दिया जा रहा है। वर्ष 2017-18 में दिव्यांग बच्चों के लिए सभी
119 खंडों में मेडिकल एसेसमेंट कैंप लगाए जा चुके हैं। ब्रेल लिपि में
पुस्तकें छपवाई जा रही हैं।
35 हजार शिक्षकों को मिलेगा प्रशिक्षण
शिक्षा के स्तर को बेहतर बनाने के लिए वर्ष 2017-18 में लगभग 35 हजार
अध्यापकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस पर लगभग 5.38 करोड़ रुपये खर्च
होंगे। बैठक में बताया गया कि अक्तूबर तक 100 रिसोर्स पर्सन्स को
प्रशिक्षित किया जाएगा। सरकार शिक्षा में सुधार के लिए कई कार्य कर रही है।
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