नईदिल्ली : एनसीईआरटी किताबों की कमी के चलते स्कूलों को अब निजी प्रकाशकों
की किताबें पढ़ाने के लिए मजबूर नहीं होना होगा। एनसीईआरटी ने इससे निपटने
की पूरी तैयारी कर ली है। इसके तहत स्कूलों
को जरुरत के मुताबिक किताबें एडवांस
में उपलब्ध कराई जाएगी, बशर्ते स्कूलों को अपनी मांग एनसीईआरटी को पहले
देनी होगी। इतना ही नहीं, स्कूलों के अलावा कोई विक्रेता या अभिभावक
भी घर बैठे एनसीईआरटी की किताबें
मंगा सकेगा।1राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद( एनसीईआरटी) ने
किताबों की इस किल्लत को खत्म करने की तैयारी शुरू कर दी है। इसे लेकर
एक ऑनलाइन पोर्टल तैयार किया है, जिसमें स्कूल, पुस्तक विक्रेता या फिर कोई
निजी व्यक्ति भी सीधे जाकर अपनी मांग भेज सकेगा। इस पूरे सिस्टम में
ऑनलाइन पेमेंट की भी व्यवस्था
की गई है। एनसीईआरटी की मानें तो इस पूरी प्रक्रिया के पीछे मकसद यह है कि
स्कूलों की मांग का पहले पता चल जाए ताकि उसके मुताबिक किताबों
का समय पर प्रकाशन हो सके। एनसीईआरटी ने इसके साथ ही स्कूलों
से अगले साल के लिए किताबों की
मांग भी लेनी शुरू कर दी है। इसके तहत स्कूलों से आठ सितंबर तक अपनी मांग
देने को कहा गया है। मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री उपेंद्र कुशवाह ने
बुधवार को इस पूरी व्यवस्था की औपचारिक शुरुआत की। इस दौरान मंत्रलय के
स्कूली शिक्षा सचिव अनिल स्वरूप ने साफ किया कि इसका मतलब यह कतई नहीं है
कि स्कूलों में एनसीईआरटी को अनिवार्य किया जा रहा है, बल्कि स्कूलों को
एनसीईआरटी की किताबें पर्याप्त संख्या में उपलब्ध कराई जाएंगी। एनसीईआरटी
ने पिछले साल भी स्कूलों को मांग के मुताबिक किताबें उपलब्ध कराने की
तैयारी की थी, लेकिन मांग पहले न मिलने के चलते तमाम स्कूलों को अंतिम समय
में किताबें नहीं मिल पायी थी।
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