चंडीगढ़ : पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने 2002 में चौटाला शासन काल में 65
एचसीएस अधिकारियों की भर्ती को चुनौती देने वाली याचिका पर बुधवार को
जस्टिस महेश ग्रोवर की बैंच के सामने सुनवाई हुई। याची करण सिंह दलाल के
वकील ने इस भर्ती को रद करने व सीबीआइ जांच की मांग की। सुनवाई के बैंच ने
कुछ चयनित उम्मीदवारों की उत्तर पुस्तिका भी देखी।
जांच में पाया गया कि
इतिहास व भुगोल के पेपर में कुछ उम्मीदवारों ने मैप नहीं भरा या गलत भरा और
कुछ का तो मैप ही गायब था, फिर भी उनको अंक दे दिए गए। इस पर बैंच ने
हैरानी जताते हुए अगली सुनवाई पर और उम्मीदवारों की उत्तर पुस्तिका देखने
का निर्णय लिया। बैंच ने स्पष्ट किया कि वह 28 नवम्बर से इस मामले पर
नियमित सुनवाई करना चाहते हैं।
बता दें कि हाईकोर्ट में यह केस लगभग 14
साल से चल रहा है और इससे पहले भी कई जज यह उत्तर पुस्तिका जांच चुके हैं।
हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस एके सिकरी अप्रैल 2013 ने इस मामले में
सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित भी रखा था। मगर सुप्रीम कोर्ट चले जाने
के कारण वह फैसला नहीं सुना सके। इस केस पर एक साल बाद अब दोबारा सुनवाई
शुरू हुई थी। कांग्रेस नेता करण सिंह दलाल ने वर्ष 2012 में इस भर्ती को
चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी।
याचिका में आरोप लगाया गया था कि
चहेतों की भर्ती के लिए उन्हें लिखित परीक्षा में कम अंक होने के बावजूद
इंटरव्यू में ज्यादा अंक देकर चयन कर लिया गया। चौटाला के राजनीतिक सलाहकार
शेर सिंह बडशामी के बेटे रणधीर सिंह ने लिखित परीक्षा में चार प्रश्नों के
उत्तर दिए थे लेकिन उन्हें पांच प्रश्नों के अंक दिए गए। इसी तरह उस समय
आयोग के चेयरमैन के रिश्तेदार को भी अनुचित लाभ पहुंचाया गया।
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