** यूजीसी एवं सरकार द्वारा अंतिम निर्णय लिया जाना शेष
नारनौल : स्नातकोत्तर कक्षाओं में शिक्षा ग्रहण करने वाले विज्ञान के
विद्यार्थी अब आर्ट के विषय स्वेच्छानुसार पढ़ सकेंगे। यह सुविधा देश के
सभी विश्वविद्यालयों में प्रदान करने के लिए च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम
(सीबीसीएस) योजना तैयार की गई है। इसे लागू करने में आने वाली चुनौतियों पर
पार पाने के लिए यूजीसी एवं सरकार द्वारा अंतिम निर्णय लिया जाना शेष
है।1विश्वविद्यालयों में सीबीसीएस प्रणाली लागू करने के लिए महेंद्रगढ़
स्थित केंद्रीय विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय कार्यशाला हुई। इसमें 16
राज्यों के 35 प्रतिनिधि शामिल हुए। कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य सीबीसीएस
योजना को विश्वविद्यालयों में लागू करने पर आने वाली चुनौतियों एवं उनका
समाधान खोजना था। योजना के तहत छात्र-छात्रओं को ऐसी सुविधा प्रदान की
जाएगी, जिसके बल पर विद्यार्थी अपने अनिवार्य विषयों के साथ-साथ अपने रुचि
के विषय भी पढ़ सकेंगे। ऐसे में कोई विज्ञान का छात्र राजनीति शास्त्र में
रुचि रखता है तो वह विज्ञान के साथ-साथ राजनीति शास्त्र भी पढ़ सकेगा।
सीबीसीएस का उद्देश्य पाठ्यक्रम एवं आवश्यक कौशल के बीच अंतर खत्म कर एक
पुल का काम करना है। केंद्रीय विश्वविद्यालय में इन्हीं जरूरतों एवं
चुनौतियों से निपटने के लिए कार्यशाला हुई, जिसमें सबसे पहली जरूरत ऐसे
विद्यार्थियों की संख्या, शैक्षिक एवं गैर-शैक्षिक स्टाफ, इन्फ्रास्ट्रक्चर
तथा उनके लिए वित्तीय प्रबंधन व्यवस्था रही। केंद्रीय विश्वविद्यालय के
अनुभवों का लाभ लेने के लिए ही महेंद्रगढ़ को कार्यशाला का स्थल चुना
गया।
"सीबीसीएस प्रणाली लागू होने से
शिक्षक केंद्रित शिक्षा की जगह विद्यार्थी केंद्रित शिक्षा लागू हो जाएगी।
इससे वैश्विक स्तर की प्रतियोगिता के अनुसार शिक्षा का स्तर ऊंचा उठेगा।
इसमें कक्षाओं की जगह अभ्यास को प्राथमिकता दी जाएगी। हरियाणा केंद्रीय
विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में यह प्रणाली पहले से ही लागू
कर दी गई है।"-- प्रो. आरसी कुहाड़, कुलपति, केंद्रीय विवि, महेंद्रगढ़।
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