इन्द्री : सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार गर्मियों की छुट्टियों में सरकारी स्कूलों में बच्चों को मिड-डे-मील मिलने की उम्मीदों पर पानी फिर गया है। सर्वोच्च न्यायालय ने गर्मियों की छुट्टियों में सभी बच्चों को मिड-डे-मील में अंडा, दूध व केला आदि खाद्य पदार्थ देने के निर्देश दिए थे। स्कूल मुखियाओं को स्कूल प्रबंधन कमेटी व अभिभावकों से चर्चा करके मिड-डे-मिल प्राप्त करने वाले बच्चों की संख्या और डिमांग करनी थी। लेकिन स्कूल मुखियाओं ने बिना अभिभावकों से चर्चा किए मनमाने ढ़ंग से रिपोर्ट भेज दी कि उनके स्कूल में गर्मियों की छुट्टियों के चलते किसी को भी मिड-डे-मील की जरूरत नहीं है। प्रबंधन कमेटी सदस्यों व अभिभावकों का साफ कहना है कि इस बारे में ना तो उनसे बात की गई और ना ही उनकी जरूरत जानी गई। अभिभावकों और बच्चों ने छुट्टियों में मिड-डे-मील की मांग उठाई है।
स्वराज अभियान ने सर्वोच्च न्यायालय में बच्चों के भोजन के अधिकार को लेकर जनहित याचिका डाली थी।
इस पर न्यायालय ने सरकार को गर्मियों की छुट्टियों में बच्चों को मिड-डे-मील के रूप में अंडा, दूध व केला देने के निर्देश दिए थे। मौलिक शिक्षा विभाग हरियाणा ने दिनांक 6जून, 2016 को पत्र क्रमांक-1/3-2016 एम.डी.एस. (2) पत्र लिख कर जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि जिला के सभी प्रधानाचार्य, मुख्याध्यापक व स्कूल इंचार्ज स्कूल प्रबंधन कमेटी सदस्यों एवं अभिभावकों की बैठक बुलाएं और चर्चा करते हुए जानकारी लें कि कितने छात्र-छात्राएं गर्मियों की छुट्टियों में मिड-डे-मील प्राप्त करना चाहते हैं। जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी और खण्ड शिक्षा अधिकारी के निर्देश के बावजूद अधिकतर स्कूल मुखियाओं ने स्कूल प्रबंधन कमेटी और अभिभावकों की बैठक बुलाए बिना ही शून्य रिपोर्ट खण्ड शिक्षा अधिकारी को भेज दी। खण्ड इन्द्री में सौ से अधिक प्राथमिक तथा मिडल स्कूल हैं। कई पिछड़े गांव हैं। इन्द्री शहर की ही डेहा बंगाली, शेख कलंदर व शोरगिर समुदाय की मलिन बस्तियों के बच्चे भोजन के लिए कूड़ा बीनने और भीख मांगने तक के काम करने को मजबूर हैं। इन परिवारों और बच्चों को यदि गर्मियों की छुट्टियों में भोजन के प्रस्ताव के बारे में पता चले तो वे इसे सहर्ष स्वीकार करेंगे।
इन्द्री पाठशाला में बच्चों को मिला केला
जिला करनाल की सबसे सुंदर पाठशालाओं में शुमार स्थानीय राजकीय प्राथमिक पाठशाला के इंचार्ज ने भले ही छुट्टियों के लिए मिड-डे-मील की डिमांड शून्य भेज दी हो। लेकिन यहां पर बच्चों का आना-जाना लगा ही रहता है। छुट्टियों के बावजूद अध्यापक महिन्द्र कुमार यहां डटे हैं । हर रोज की तरह शनिवार को भी जब बच्चे यहां खेलने आए तो उन्होंने अपनी जेब से बच्चों के लिए केले मंगवाए और खिलाए।
क्या कहते है एसएमसी प्रधान व अभिभावक
गांव डेरा हलवाना के एसएमसी प्रधान मक्खन सिंह ने बताया के गांव में करीब 800 बच्चे स्कूल में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। बच्चे घुमंतु समुदाय के हैं। ऐसे परिवारों के बच्चों को स्कूलों में दोपहर को मिलने वाला पौष्टिक भोजन कुछ राहत प्रदान करता है। छ़ट्टियों में बच्चों को भोजन मिलेगा ऐसे आदेश का मुख्याध्यापक ने जिक्र नहीं किया है।
क्या कहती हैं डीईओ
जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी सरोजबाला गुर ने कहा कि जिला करनाल के कुल छह खंडों में से इन्द्री सहित दो खण्डों में मिड-डे-मील की इच्छा रखने वाले बच्चों की संख्या शून्य आई है। बाकी चार खण्डों के 35 स्कूलों से ही मिड-डे-मील की डिमांड आई है। उन्होंने कहा कि इसके लिए खण्ड शिक्षा अधिकारी व स्कूल मुखिया जिम्मेदार हैं। यदि अभिभावक शिकायत करते हैं तो मिड-डे-मील दिया जाएगा। dt
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