**उप्र के पांच और हरियाणा का एक मेडिकल कॉलेज शामिल
छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ करना प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों को महंगा पड़ सकता है। भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआइ) ने छह ऐसे कॉलेजों की ओर से लगातार हो रही धांधली को देखते हुए इनको पूरी तरह से बंद ही कर देने का फैसला कर लिया है। इनमें पांच उत्तर प्रदेश और एक हरियाणा स्थित कॉलेज शामिल है। एमसीआइ के संचालक मंडल ने इसके लिए अंतिम सिफारिश केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रलय को भेज दी है। हालांकि मंत्रलय ने इस पर कोई फैसला करने से पहले एमसीआइ से सारे तथ्य मांगे हैं। 1प्रो. केके तलवार की अध्यक्षता वाले एमसीआइ के पिछले संचालक मंडल ने सात मई को हुई अपनी बैठक में बेहद सख्त कदम उठाने का फैसला किया। कॉलेजों में सुविधाएं या शिक्षक कम पाने पर एमसीआइ उनमें सीट बढ़ाने या नए कोर्स शुरू करने से तो इन्कार करता है, मगर इस मामले में इनको चलाने के लिए जारी किया गया मंजूरी पत्र (एलओपी) ही रद करने की सिफारिश कर दी है। एक राय से किए गए इस फैसले के दौरान बैठक में एमसीआइ सचिव आरपी मीणा और संचालक मंडल के सभी छह सदस्य मौजूद थे। एमसीआइ संचालक मंडल की इस बैठक के बिंदुओं के मुताबिक इन कॉलेजों में भारी गड़बड़ियों की शिकायत के सुबूत सामने आने पर पहली बार 12 अक्टूबर, 2011 को इन्हें नोटिस जारी किया गया। इनके जवाब आने पर उसी साल 28 नवंबर को और गहराई से तथ्यों का पता लगाने के लिए अतिरिक्त सचिव पी. प्रसन्नाराज के नेतृत्व में एक उप समिति बनाई गई। 23 मार्च 2012 को उप समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी। बोर्ड ने पिछले साल 16 और 17 अप्रैल को हुई अपनी बैठक में रिपोर्ट पर विचार किया। अंतिम मौके के तौर पर इसने अपने विजिलेंस विभाग को कॉलेजों के दावों की वास्तविकता का पता लगाने को कहा। लेकिन पूरी प्रक्रिया में इसने पाया कि इन सभी कॉलेजों में नियमित रूप से धांधली की जाती है।
ये कॉलेज निशाने पर :
*संतोष मेडिकल कॉलेज, गाजियाबाद ,
* स्कूल आफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च, ग्रेटर नोएडा
*सरस्वती इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज, हापुड़
*राम मेडिकल कॉलेज, हापुड़
*सुभारती मेडिकल कॉलेज, मेरठ
*एसजीटी मेडिकल कॉलेज, गुड़गांव ..DJ
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