फेल न होने के डर ने बच्चों को पढ़ाई के प्रति लापरवाह कर दिया। इसी कारण दसवीं की परीक्षा का नतीजा इस बार खराब रहा। विद्यालय शिक्षा महानिदेशक विकास यादव कहते हैं कि इस मामले में बिना कागज देखे कुछ भी कहना मुश्किल है। हालांकि स्कूलों के प्रधानाचार्य पहले ही बता चुके हैं कि आठवीं में फेल न करने के कारण बच्चे कमजोर हो रहे हैं।
दसवीं का रिजल्ट खराब आने के बाद शिक्षा विभाग ने प्रधानाचार्यों से पूछताछ की तो प्रधानाचार्यों ने यह समस्या बताई। आठवीं की परीक्षा में बच्चों को फेल होने का डर होता था तो दसवीं में उनकी परफारमेंस बढ़िया रहती थी।
शिक्षाविदों की भी यही राय है कि बच्चों का पढ़ाई से फोकस कम हो गया है। राज्य शिक्षा विभाग के हाथ केंद्र सरकार के आरटीई एक्ट ने बांध दिए हैं। बच्चों को फेल नहीं किया जा सकता। उनकी परफारमेंस सुधारने का दूसरा उपाय विभाग को सूझ नहीं रहा है। पिछले दिनों दिल्ली में इस बाबत बैठक भी हुई लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला।
शिक्षा विभाग जिस गति से चल रहा है अगले दो साल बोेर्ड का दसवीं का रिजल्ट सुधरने की गुंजाइश कम दिख रही है, क्योंकि जो बदलाव किए जाने हैं उनमें बिना केंद्र के हस्तक्षेप के संभव नहीं है।
यह सिफारिश कर सकता है हरियाणा:
हरियाणा में अभी एकदम सतत एवं व्यापक मूल्यांकन प्रभावी बनाना संभव नहीं है, क्योंकि टीचर इसके लिए तैयार नहीं हैं। हरियाणा मानव संसाधन मंत्रालय के सामने यह सिफारिश कर सकता है कि सीसीई के तहत पाठ्यक्रम और अध्यापक प्रशिक्षण मजबूत किया जाए। साथ ही बच्चों के मूल्यांकन का तरीका ढूंढा जाए, क्योंकि यह सबसे ज्यादा जरूरी है।
•आरटीई एक्ट के कारण 8वीं में खराब रिजल्ट के बाद भी नहीं कर सकते फेल
"आठवीं की परीक्षा में बच्चों का मूल्यांकन हो जाता था। अब हम इसका तरीका ढूंढ रहे हैं। शिक्षकों की कमी इस वर्ष पूरी हो जाएगी। जिसके बाद अगले साल से अपने आप परीक्षा परिणाम बेहतर आने लगेंगे।"-सुरीना राजन, वित्तायुक्त एवं प्रधान सचिव शिक्षा विभाग ..AU
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.