*स्कूल अपने स्तर पर ही लेगा परीक्षा मार्क्स भेजेगा बोर्ड को
*दूसरे सेमेस्टर की परीक्षा लेगा बोर्ड, एक साल में बढ़ जाएंगे पढ़ाई के तीस दिनचंडीगढ़: दसवीं कक्षा में आधे स्कूली बच्चे फेल होने के बाद हरियाणा सरकार ने फैसला किया है कि इस सत्र से दसवीं और बारहवीं कक्षा के विद्यार्थियों की पहले सेमेस्टर की परीक्षा हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड नहीं लेगा। इस महत्वपूर्ण फैसले से स्कूली बच्चों के साल में 30 दिन बर्बाद होने से बच जाएंगे। अभी पढ़ाई का कम समय मिलने पर पढ़ाई का बंटाधार हो रहा था।
हरियाणा के स्कूलों में वर्ष 2007 से सेमेस्टर प्रणाली शुरू की थी। उससे पहले स्कूल शिक्षा बोर्ड सालाना परीक्षा लेता था। उसी के आधार पर परिणाम घोषित करता था। उससे पहले छमाही और नौमाही पेपर स्कूल स्तर पर लिए जाते थे। इन परीक्षाओं से आकलन हो जाता था कि स्कूल के बच्चों की शैक्षणिक गुणवत्ता कैसी है। जब से सेमेस्टर सिस्टम शुरू किया तब से हर छह महीने बाद बोर्ड पेपर लेता है। हर सेमेस्टर में हर विषय में 70 अंक थ्योरी और 30 अंक मूल्यांकन के हैं। दोनो सेमेस्टर के आधे-आधे अंक जोड़कर फाइनल रिजल्ट घोषित किया जाता है।
दसवीं और बारहवीं परीक्षा के विद्यार्थियों से पहले सेमेस्टर की परीक्षा संबंधित स्कूल ही लेगा। हालांकि इसके लिए प्रश्न पत्र हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड तैयार करेगा मगर संबंधित स्कूल में पेपर होने के बाद ही वहीं पर मूल्यांकन होगा। बोर्ड की तरह थ्योरी के 70 और मूल्यांकन के 30 अंक होंगे। थ्योरी और मूल्यांकन में न्यूनतम 33 फीसदी अंक लेना जरूरी होगा। दूसरे सेमेस्टर की परीक्षा बोर्ड लेगा। पहले सेमेस्टर के अंक संबंधित स्कूल शिक्षा बोर्ड को भेजेगा। दोनों सेमेस्टर के अंक जोड़कर फाइनल रिजल्ट घोषित किया जाएगा।
"सरकार ने फैसला किया है कि इस शैक्षणिक सत्र से दसवीं और बारहवीं परीक्षा में पहले सेमेस्टर की परीक्षा संबंधित स्कूलों में संचालित होगी। वहीं के शिक्षक मूल्यांकन करेंगे। दूसरे सेमेस्टर की परीक्षा बोर्ड ही लेगा। दोनों सेमेस्टर के अंक जोड़कर फाइनल रिजल्ट घोषित होगा। इससे 30 दिन पढ़ाई के लिए अतिरिक्त मिलेंगे। परिणाम में भी सुधार होगा।"-सुरीना राजन, प्रधान सचिव, सेकेंडरी एजूकेशन, हरियाणा ..AU
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