प्रदेश में एक बार फिर तबादलों का मौसम लौट आया है। बुधवार को सरकार ने प्रभारी मंत्रियों को उनके विभागों में तबादले का अधिकार प्रदान कर दिया। अभी तक यह अधिकार सिर्फ मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के पास था। प्रभारी मंत्रियों को यह अधिकार सिर्फ एक माह के लिए मिल पाया है। 1प्रदेश सरकार हर साल प्रभारी मंत्रियों को एक माह के लिए तबादले करने संबंधी अधिकार प्रदान करती है। अमूमन यह समय जून का महीना होता है। बाकी 11 माह के दौरान हालांकि तबादले प्रतिबंधित रहते हैं, लेकिन राजनीतिक पहुंच वाले अधिकारियों व कर्मचारियों के लिए इस प्रतिबंध के बहुत अधिक मायने नहीं होते। प्रभारी मंत्रियों को मिले तबादलों के अधिकार की सुविधा ज्यादातर आम कर्मचारियों के लिए लाभकारी मानी जाती है, जिसमें राजनीतिक पहुंच वाले कई लोग हाथ धोने से नहीं चूकते। नई व्यवस्था के मुताबिक प्रदेश सरकार ने 30 जून तक सामान्य स्थानांतरणों पर से प्रतिबंध हटाने का निर्णय लिया है। मुख्य सचिव पीके चौधरी के कार्यालय से आज इस बारे में अधिसूचना जारी कर दी गई है। अधिसूचना में बताया गया है कि अन्य नीति मानदंडों के अनुसार इस अवधि के दौरान प्रभारी मंत्री अपने-अपने विभागों में श्रेणी-दो तक के स्थानांतरण करने के लिए सक्षम होंगे। प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों की संख्या करीब पौने तीन लाख है। इनमें सबसे अधिक बिजली विभाग में 20 हजार, शिक्षा में 30 हजार और स्वास्थ्य विभाग में करीब 18 हजार कर्मचारी हैं। इन्हीं तीनों विभागों में तबादलों का अधिक जोर रहता है। करीब एक लाख कर्मचारी राज्य में ऐसे हैं, जो नियमित नहीं हैं और उन्हें कांट्रेक्ट पर रखा गया है। सूत्रों के अनुसार अच्छे पदों पर जमे कर्मचारी हालांकि तबादला नहीं चाहते, लेकिन तबादलों की दरकरार ऐसे लोगों को रहती है, जो अपने गृह जनपद से दूर हैं अथवा मलाई दार पोस्ट चाहते हैं। ऐसे कर्मचारियों को भी तबादलों का शिकार होना पड़ता है, जो मंत्रियों और उनके कार्यकर्ताओं की बात नहीं सुनते। ऐसे में करीब एक माह तक प्रभारी मंत्रियों और उनके खास समर्थकों की मौज लग गई है। ..DJ
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