दरअसल, शिक्षा विभाग रिपोर्ट ले रहा है कि रिजल्ट इतना खराब क्यों आया। इस बाबत विभाग की तरफ से सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को रिजल्ट में गिरावट की जांच करने का निर्देश दे दिया गया है। इसी से स्कूल अधिकारी घबरा गए हैं और गजट मिलने के बावजूद अपना रिजल्ट नहीं बताया।
तीन साल में 36 प्रतिशत से अधिक की गिरावट:
हरियाणा बोर्ड की 10वीं और 12वीं का रिजल्ट साल दर साल गिरता जा रहा है। फिलहाल भले ही रिजल्ट गिरने का कारण ग्रेस मार्क बंद होने को माना जा रहा है, लेकिन जब ग्रेस मार्क दिए जाते थे, तब भी रिजल्ट में गिरावट जारी था। 2010 में 12वीं का रिजल्ट 91.92 था, लेकिन तीन साल के अंदर ही यह 55.25 तक पहुंच गया। वहीं 10वीं का रिजल्ट भी 2010 में 83.78 था और इस बार यह 46.99 तक पहुंच गया। रिजल्ट को लेकर अब प्रदेश सरकार ने रिपोर्ट मांग ली है।
स्टाफ की कमी:
मॉडल संस्कृति स्कूल की प्राचार्या प्रतिमा शर्मा का कहना है कि सरकारी स्कूलों में रिजल्ट गिरने का मुख्य कारण स्टाफ की कमी है। शिक्षकों की अन्य कार्यो में भी ड्यूटी लगाई जाती है, जिसके कारण भी पढ़ाई नहीं हो पाती है।
पद्धति पर सवाल:
हरियाणा लेक्चरर एसोसिएशन के जिला प्रधान रविंद्र का कहना है कि शिक्षा विभाग को वर्षो से चली आ रही शिक्षा पद्धति में बदलाव लाना पड़ेगा। विभाग रिजल्ट खराब आने का दोषी शिक्षकों को बताने की कोशिश कर रहा है।
जुलाई में देखेंगे:
जिला शिक्षा अधिकारी शीला बल्हारा ने बताया कि रिजल्ट जानने के लिए कई प्राचार्यो से संपर्क करने की कोशिश भी की, लेकिन सभी ने शहर से दूर होने की बात कही। छुट्टी खत्म होने के बाद जुलाई माह में जांच शुरू की जाएगी।
शिक्षकों और प्राचार्यो का रुक सकता है प्रमोशन :
शिक्षा विभाग ने स्कूलों की जांच के लिए शिक्षा अधिकारियों को पत्र भेज दिया है। इसकी जिम्मेदारी ब्लॉक एजुकेशन ऑफिसर को सौंपी गई है। बीईओ सभी सरकारी स्कूलों की रिपोर्ट बनाकर जिला शिक्षा अधिकारी को सौंपेंगे। इसके साथ ही विभाग ने प्रमोशन के लिए आवेदन करने वाले शिक्षकों की फाइल भी मांगी है। अगर खराब रिजल्ट में प्रमोशन के लिए आवेदन करने वाले शिक्षकों की भागीदारी पाई गई तो प्रमोशन रोक दिया जाएगा। ..db
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