**शिक्षाविद से लेकर, कानूनविद और वामपंथी विचारधारा के राजनीतिक दलों के नेताओं ने इस पाठय़क्रम का खुलेआम विरोध किया था
दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा शुरू किए गए चार वर्षीय स्नातक पाठय़क्रम पर मचे बवाल और असमंजस के माहौल के बीच मंगलवार को सरकार ने इस कोर्स को खारिज ना करते हुए समय-समय पर इसकी समीक्षा के लिए एक सलाहकार समिति का गठन कर दिया है। यूजीसी द्वारा जारी किए गए आदेश के मुताबिक पांच सदस्यीय इस परार्मश समिति की अध्यक्षता यूजीसी के सदस्य और केंद्रीय वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के पूर्व महानिदेशक प्रो.एस.के.जोशी करेंगे। इसके अलावा समिति में प्रो.वीएस चौहान (निदेशक, इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड बॉयोटेक्नोलॉजी और सदस्य, यूजीसी), प्रो.मृणाल मीरी (चेयरमैन, इंडियन काउंसिल फॉर फिलॉसाफिकल रिसर्च (आईसीपीआर), प्रो.एस.परशुरामन (डॉयरेक्टर, टाटा इंस्ट्टीटयूट ऑफ सोशल सांइसेज), प्रो.भुवन चंदेल (पूर्व निदेशक, इंडियन इंस्ट्टीट्यूट ऑफ एडवांसड स्टडीज) भी शामिल हैं। मंत्रालय से विचार-विर्मश के बाद इस समिति का गठन किया गया है।
मंत्रालय में मंगलवार को हुई बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ.एम.एम.पल्लम राजू ने की। इसके अलावा मंत्रालय में उच्च शिक्षा सचिव डॉ.अशोक ठाकुर और संयुक्त सचिव (केंद्रीय विश्वविद्यालय) ए.के.सिंह भी इसमें शामिल हुए। परत-दर-परत मूल्यांकन
यह समिति मुख्य रूप से यूजीसी के प्रति उत्तरदायी होगी और इसका मुख्य कार्य मौजूदा चार वर्षीय पाठय़क्रम का परत दर परत मूल्यांकन करना और इसे लेकर समय-समय पर यूजीसी को अपनी अंतरिम र्पिोट सौंपने का होगा। र्पिोट के आधार पर यूजीसी आगे की कार्रवाई करेगी। समिति चार वर्षीय कोर्स के तकनीकी पहलुओं से लेकर इससे जुड़े विभिन्न संस्थागत बिंदुओं पर गहनता से विश्लेषण करेगी और र्पिोट तैयार करेगी। ल्ल डीयू में इस पाठय़क्रम के आधार पर दाखिला प्रक्रिया की आज से शुरूआत हो गई है। इसमें दाखिला लेने वाले छात्रों को चार साल के आनर्स की डिग्री दी जाएगी ..HB
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